नई दिल्ली:तीन बार के पूर्व राष्ट्रीय पैरा-तैराकी चैंपियन 19 वर्षीय अमर्त्य चक्रवर्ती का बुधवार को जीबी पंत अस्पताल में अचानक कार्डियो रेस्पिरेटरी अरेस्ट के कारण निधन हो गया. पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले के सल्किया के रहने वाले अमर्त्य का रीढ़ की हड्डी की बीमारी के लिए अस्पताल में इलाज चल रहा था, जिससे उनका निचला शरीर लगभग लकवाग्रस्त हो गया था.
राष्ट्रीय स्तर पर लगभग 30 पदक जीतने वाले चैंपियन तैराक ने अस्थायी विकलांगता श्रेणी के तहत वर्गीकृत होने के बाद 2015 और 2017 के बीच सब-जूनियर और जूनियर स्तरों में अपनी छाप छोड़ी थी. लेकिन दिसंबर 2017 में दुबई में होने वाले एशियाई युवा पैरा खेलों में उनकी विकलांगता के विरोध के कारण उन्हें प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति नहीं दी गई थी. इसके तुरंत बाद उन्हें अंतर्राष्ट्रीय पैरालंपिक समिति (आईपीसी) द्वारा अपात्र घोषित कर दिया गया था.
यह भी पढ़ें:ATP ने रूसी खिलाड़ियों को प्रतिबंधित करने के विंबलडन के फैसले की निंदा की
सच्चिबात की एक रिपोर्ट में चैंपियन तैराक की मौत से कुछ दिन पहले कहा गया था कि अमर्त्य की हालत गंभीर है और उनके पिता एक निजी अस्पताल में उनका इलाज कराने में सक्षम नहीं हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि अमर्त्य की रीढ़ की हड्डी पूरी तरह से असंतुलित हो गई थी और शरीर के निचले हिस्से ने काम करना बंद कर दिया था.
उनके पिता अमितोष ने कहा था कि उनके बेटे का इलाज केवल एम्स (दिल्ली), इंग्लैंड और अमेरिका के अस्पतालों में संभव था और विदेश में उनके इलाज के लिए लगभग 50 लाख रुपये खर्च होंगे.
यह भी पढ़ें:प्रीमियर लीग में मैनचेस्टर सिटी वापस शीर्ष पर, आर्सेनल ने बड़ी जीत हासिल की
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि प्रसिद्ध भारत तैराक मीनाक्षी पाहूजा अमर्त्य को अपने पैरों पर खड़ा करवाने के लिए हर संभव कोशिश कर रही थी. उन्होंने कहा कि तैराक के माता-पिता ने खेल मंत्रालय, भारतीय खेल प्राधिकरण, भारतीय पैरालंपिक समिति सहित हर दरवाजे पर मदद के लिए दस्तक दी थी. इसमें कहा गया है कि पिता को प्रति माह 18,000 रुपये का वेतन मिलता था और उन्होंने अपने जीवन की बचत अपने बेटे के इलाज पर खर्च कर दी थी.