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ओलंपिक में झारखंड की इन 3 बेटियों पर तिरंगा लहराने की जिम्मेदारी

टोक्यो ओलंपिक 2020 (Tokyo Olympic 2020) में झारखंड की तीन बेटियां (Jharkhand girls in Olympics) अपना दम दिखाने पहुंच चुकी हैं. किसी के निशाने पर गोल्ड है तो कोई गोल्ड के लिए गोल दागने को तैयार है. जानते हैं झारखंड के तीनों धुरंधरों के बारे में...

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झारखंड की 3 बेटियां

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Published : Jul 22, 2021, 8:05 PM IST

रांची:टोक्यो ओलंपिक 2020 (Tokyo Olympics 2020) में झारखंड की तीन बेटियां गोल्ड के लिए जोर लगाने को तैयार हैं. विश्व की नंबर-1 तीरंदाज दीपिका कुमारी (Deepika Kumari) गोल्ड के लिए निशाना लगाएंगी तो निक्की प्रधान (Nikki Pradhan) और सलीमा टेटे (Salima Tete) देश को गोल्ड दिलाने के लिए हॉकी में गोल दागने को तैयार हैं.

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विश्व की नंबर वन खिलाड़ी से उम्मीदें

टोक्यो ओलंपिक 2020 (Tokyo Olympics 2020) में गए भारतीय दल में झारखंड की तीन बेटियां (Jharkhand girls in Olympics) शामिल हैं. उसमें सबसे बड़ा नाम है तीरंदाज दीपिका कुमारी का. दीपिका इस समय विश्व की नंबर-1 महिला तीरंदाज हैं. उनसे पूरे देश को गोल्ड की उम्मीदे हैं क्योंकि कुछ दिन पहले ही दीपिका कुमारी ने विश्व कप में तीन गोल्ड जीते थे. दीपिका कुमारी एशियन चैंपियनशिप, कॉमनवेल्थ गेम्स और विश्व कप सभी में गोल्ड जीत चुकी हैं. इस बार ओलंपिक की बारी है.

दीपिका कुमारी के बारे में जानें

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4 बार जीत चुकी हैं गोल्ड

झारखंड के राची जिले के रातु चट्टी में 13 जून 1994 में दीपिका कुमारी का जन्म हुआ. दीपिका के पिता ऑटो रिक्शा चलाते थे. उसने रांची से नर्सिंग की पढ़ाई की है. 2005 में दीपिका को अर्जुन आर्चरी एकेडमी में मौका मिला. केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा इस एकेडमी को चलाती हैं. 2006 में दीपिका ने टाटा आर्चरी एकेडमी ज्वाइन कर लिया. जहां उसे ट्रेनिंग के साथ साथ स्टाइपन भी मिलता था. 2009 में पहली बार उसने कैडेट वर्ल्ड चैंपियनशिप में जीत दर्ज कर अपनी प्रतिभा से सबको अवगत कराया. दीपिका अब तक एशियन चैंपियनशिप, कॉमनवेल्थ गेम्स और वर्ल्ड कप में 4 बार गोल्ड, तीन बार सिल्वर और चार बार ब्रॉन्ज मेडल जीत चुकी हैं.

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कभी बांस के स्टिक से खेलती थी निक्की

झारखंड के खूंटी जिले के हेसल गांव में 8 दिसंबर 1993 जन्मी निक्की प्रधान (Nikki Pradhan) अंतरराष्ट्रीय हॉकी में अपनी पहचान बना चुकी हैं. टोक्यो ओलंपिक 2021 में वो दूसरी बार भारत की तरफ से हिस्सा ले रही हैं. निक्की चार बहनें और एक भाई है. सभी बहने हॉकी खिलाड़ी हैं. निक्की पहले बांस के हॉकी स्टिक और बॉल बनाकर अपने भाई-बहनों के साथ खेलती थी. फिर उसने खूंटी में ही दशरथ महतो से ट्रेनिंग ली. उसके बाद उसका सेलेक्शन रांची के बरियातू में आवासीय हॉकी सेंटर के लिए हुआ. 2011 रांची में ही खेले गए 34वें राष्ट्रीय खेल में झारखंड से खेलते हुए निक्की ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा था. 2015 में निक्की ने फिर से 35वें नेशनल गेम्स में जोरदार प्रदर्शन किया फिर भारतीय टीम में उसका चयन हो गया.

निक्की प्रधान के बारे में जानें

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दूसरी बार ओलंपिक में प्रतिनिधित्व

2016 में ओलंपिक खेलन गई भारतीय महिला टीम में निक्की का चयन हुआ. निक्की प्रधान भारत की ओर से ओलंपिक, हॉकी विश्व और एशिया कप में भारतीय टीम के लिए खेल चुकी हैं. निक्की प्रधान ने अब तक भारत की ओर से 104 मैच खेला है और दो गोल भी दागे हैं. निक्की प्रधान टीम के लिए बेहतरी मिडफिल्डर की भूमिका निभाती हैं.

सलीमा ने कम उम्र में सबको चौंकाया

झारखंड के सिमडेगा जिले के एक छोटे से गांव बड़की छापर गांव में 27 दिसंबर 2001 को सुलक्षण टेटे के घर एक लड़की ने जन्म लिया. उस वक्त किसी ने नहीं सोचा था कि बड़ी होकर यह लड़की दुनिया में अपना और अपने गांव का नाम रौशन करेगी. हम बात कर रहे हैं. भारतीय महिला हॉकी टीम की खिलाड़ी सलीमा टेटे (Salima Tete) की. सलीमा इन दिनों टोक्यो ओलंपिक में हिस्सा लेने गई हुई है.

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पिता से सीखा हॉकी

सलीमा टेटे के पिता सुलक्षण टेटे हॉकी के अच्छे खिलाड़ी रहे हैं. लिहाजा सलीमा में हॉकी के गुण घर से ही मिला. सलीमा जब दस साल की हुई तब से ही उसके पिता उसे जिला स्तर पर होने वाले प्रतियोगिता में खिलवाने के लिए ले जाते थे. इस दौरान सलीमा ने सभी को अपने खेल से प्रभावित किया. इस दौरान सलीमा ने कई पुरस्कार भी जीता. 12 साल की उम्र में साल 2013 में सलीमा का चयन झारखंड टीम के लिए हो गया.

सलीमा टेटे के बारे में जानें

साल 2014 सलीमा ने राष्ट्रीय सब जूनियर महिला प्रतियोगिता में झारखंड के लिए खेला. टीम ने उस समय रजद पदक जीता था. इसके बाद सलीमा का चयन राष्ट्रीय टीम के लिए हो गया. सलीमा भारत की ओर से 29 मैच खेल चुकी हैं. सलीमा बेहतरीन डिफेंटर के रुप में जानी जाती हैं. सलीमा के मैदान पर रहते गेंद गोल तक पहुंचाने में लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती हैं.

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