हैदराबाद: भारतीय खेल प्राधिकरण ने शुक्रवार को उन आलोचनाओं को खारिज कर दिया जिनमें साई संस्थानों में यौन उत्पीड़न की शिकायतों को कड़ाई से नहीं निपटने की बात कही जा रही थी, ये मानते हुए कि इन खतरे से निपटने के लिए एक मजबूत व्यवस्था मौजूद है. साथ ही उन्होंने ये भी स्वीकार किया कि दोषी पाए जाने वालों को दंडित करने के लिए नियम और कड़े किए जाने चाहिए.
एक रिपोर्ट में ये दावा किया गया था कि पिछले 10 सालों में 24 साई संस्थानों से यौन उत्पीड़न के 45 मामले दर्ज किए गए, देश में ओलंपिक खेलों को संचालित करने वाली नोडल निकाय ने दावा किया कि पिछले दशक में मामलों की संख्या 35 है जिसमें कार्रवाई 14 में पहले ही कार्रवाई हुई है.
साथ ही, ये भी कहा कि इस तरह के मामलों से निपटने के लिए एक "मजबूत" प्रणाली और पर्याप्त "निवारक" अपनी जगह पर हैं. हालांकि, एक शीर्ष अधिकारी ने बात करते हुए ये स्वीकार किया कि जो वर्तमान में तबादलों से लेकर वेतन में कटौती और पेंशन से लेकर निलंबन तक की सजा है, उनको और अधिक कठोर होना चाहिए.
उन्होंने कहा,"मैं मानता हूं कि दंड को और कठोर बनाने की आवश्यकता है लेकिन ये एक नीतिगत निर्णय है, जिसे केवल मंत्रालय स्तर पर बदला जा सकता है."
साई ने कहा कि 2011 से 2019 के रिकॉर्ड के अनुसार, यौन उत्पीड़न की 35 शिकायतें प्राप्त हुई हैं, जिनमें से 15 मामलों में पूछताछ जारी है. जिनमें तीन आरोप झूठे पाए गए, जबकि दो आरोपियों को अदालत ने बरी कर दिया. एक आरोपी ने आत्महत्या कर ली जबकि एक अन्य शिकायत वापस ले ली गई.
इन 35 मामलों में से 27 कोचों के खिलाफ थे जबकि आठ साई अधिकारियों के खिलाफ थे.
साई के एक आधिकारिक बयान में कहा गया है,"ये सुनिश्चित करने के लिए कि शिकायतकर्ता पर किसी तरह का दबाव न बनाया जा सके, जिन अधिकारी/कोच के खिलाफ शिकायत की जानी है, उन्हें पोस्टिंग की जगह से स्थानांतरित कर दिया जाता है."
आगे कहा गया,"इसके लिओए एक कॉल सेंटर भी चालू है (अप्रैल 2019 से) जिसके माध्यम से पीड़ित अपनी शिकायतों को सीधे दर्ज कर सकते हैं."