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मणिपुरी महिलाएं होती हैं बेहतरीन घुड़सवार, इसलिए राज्य में लौट रहा है पोलो का गौरव

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Published : Mar 25, 2019, 10:47 PM IST

महिलाएं हर खेल में आगे है और ऐसा देखने को मिला आधुनिक युग के खेल पोलो की जन्मस्थली मणिपुर में अब इस खेल को लेकर नई उम्मीद जगी हैं. हमेशा पोलो को अमीरों का खेल माना जाता है, जिसमें पुरुषों का वर्चस्व होता है.

POLO

इंफाल : पूर्वोत्तर भारत के इस प्रांत में पुरुष सदियों से पोलो खेलते आ रहे हैं लेकिन अब का माहौल बदल गया है. इस खेल में अब महिलाओं का दबदबा देखने को मिल रहा है. प्रदेश की महिलाओं की पांच पेशेवर पोलो टीमें हैं, जिनकी स्पर्धा दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टीम से होती है.

इन मणिपुरी महिलाओं ने न सिर्फ इस रूढ़ि को तोड़ा है कि पोलो सिर्फ पुरुषों का खेल है, बल्कि इन्होंने यह भी दिखा दिया है कि यह अमीरों का खेल नहीं है. इसे साधारण परिवार से तालुक्क रखने वाला इंसान भी खेल सकता हैं.

प्रदेश में महिला पोलो को सपोर्ट करने वालों में एल. सोमी रॉय सबसे आगे है. वे आइकॉनिक मणिपुरी घोड़ों के संरक्षण का अभियान भी चलाते हैं, जिनकी आबादी साल दर साल घटती जा रही है.

पोलो को लेकर परंपरा

उन्होंने कहा कि परंपरा के अनुसार, मणिपुरी महिलाएं पोलो नहीं खेलती थीं, क्योंकि यह घुड़सवारी का खेल है इसकी शुरुआत वैवाहिक परंपरा से हुई है, लेकिन 1980 के दशक में वे अपने पुरुष रिश्तेदारों से प्रेरित हुई थी इस खेल को लेकर.

रॉय ने ये भी कहा कि, ऑल मणिपुर पोलो एसोसिएशन ने उनको प्रोत्साहित किया. दुनियाभर में करीब 40-45 फीसदी पोलो खिलाड़ी महिलाएं हैं। इसलिए हम अभी इस पर पकड़ बना रहे हैं. हम चाहते है कि खेल के रूप में यह लिंग-भेद मुक्त है.

महिला पोलो

आपको बता दें कि मणिपुर में देश का सबसे लंबा पोलो सीजन होता है जो नवंबर से मार्च तक चलता है. इस दौरान दो अंतर्राष्ट्रीय और चार राज्य स्तरीय टूर्नामेंट होते हैं, जिनमें मणिपुर स्टेटहुड वुमंस पोलो टूर्नामेंट भी शामिल है. यह देश में पहला ऐसा टूर्नामेंट है, जिसमें अमेरिका, इंग्लैंड, कनाडा, केन्या, आस्ट्रेलिया और अर्जेटीना के खिलाड़ी मणिपुरी लड़कियों के साथ इस टूर्नामेंट में खेलते हैं. पोलो के सारे मैच इंफाल के मपल कांगजीबंग स्टेडियम में होते हैं, जो दुनिया को सबसे पुराना पोलो ग्राउंड है.

मणिपुर में महिला पोलो की कहानी पर आलेख बनाना शुरू किया

फिल्मकार रूपा बरुआ ने 2016 में मणिपुर में महिला पोलो की कहानी पर आलेख बनाना शुरू किया था. वह कहती हैं कि 2014-15 में मणिपुर में खेलने के लिए अंतरराष्ट्रीय महिला खिलाड़ियों को लाने का प्रयास किए गए थे. प्रदेश में युवा पोलो अच्छा विकसित हो रहा है.

पोलो पर बनी डॉक्यूमेंट्री फिल्म 'डॉटर्स ऑफ द पोलो गॉड' की इसी महीने नई दिल्ली में आईएडब्ल्यूआरटी एशियन वुमंस फिल्म फेस्टिवल आयोजित आईएडब्ल्यूआरटी एशियन वुमंस फिल्म फेस्टिवल में स्क्रीनिंग की गई और इसके बाद इसे 26 मार्च को बंबई स्टॉक एक्सचेंज में की दिखाई जाएगी.

मणिपुर पोलो सोसायटी के सचिव एन. इबुनगोचौबी ने कहा कि मणिपुरवासियों और घोड़ों के बीच खास संबंध है. लेकिन हाल के दिनों में मणिपुरी घोड़े शहरीकरण के विकास के कारण अपनी जगह पाने मे पीछे हो गए हैं और उनकी आबादी 2003 में जहां 1893 थी वह 2014 में घटकर 500 रह गई है.

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