हैदराबाद: बैंकॉक में खेली गई एशियन चैंपियनशिप में 81 किलोग्राम भारवर्ग में भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाने वाली महिला मुक्केबाज पूजा रानी अपनी सफलता से काफी खुश हैं. पूजा पहली बार 81 किलोग्राम भारवर्ग में खेल रही थीं और उन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाते हुए फाइनल में विश्व चैंपियन को मात दी और स्वर्ण पदक पर कब्जा किया.
ये भारवर्ग मैंने अपनी मर्जी से नहीं चुना
आपको बता दें कि पूजा ने ये भारवर्ग अपनी मर्जी से नहीं चुना था. वो अमूमन 75 किलोग्राम भारवर्ग में खेलती हैं, लेकिन परिस्थिति ऐसी आन पड़ी की उन्हें 81 किलोग्राम वर्ग में आना पड़ा. पूजा तकरीबन डेढ़ साल कंधे की चोट के कारण घर पर रहीं और इस कारण उनका वजन बढ़ गया. इसलिए उन्हें 81 किलोग्राम भारवर्ग में खेलना पड़ा.
पूजा ने कहा,"महिलाओं में एक ही स्वर्ण पदक आया है. दूसरा ये भी है कि 81 किलोग्राम में भी एशियन चैंपियनशिप में स्वर्ण भी पहली बार आया है. मैंने इससे पहले रजत और कांस्य पदक जीते थे और अब स्वर्ण जीतना मेरे लिए सुखद अहसास है."
उन्होंने कहा,"मेरा वजन बढ़ गया था, पहले दीवाली में पटाखे फोड़ते हुए मेरा हाथ जल गया था और फिर मेरे कंधे में चोट लग गई थी. इस दौरान में घर में बैठी रही थी तो मेरा वजन बढ़ गया. इसलिए मुझे भारवर्ग में बदलाव करना पड़ा है."
अभ्यास के दौरान मेरे कंधे में चोट लग गई
गौरतलब है कि पूजा 75 किलोग्राम भारवर्ग में एशियाई चैंपियनशिप 2012 में रजत और 2015 में कांस्य जीत चुकी हैं.
उन्होंने कहा,"कंधे में चोट 2017 में हुई थी. हाथ जला था तब मैंने तीन-चार महीने आराम किया था. उसके बाद वापसी की तो ज्यादा अभ्यास से मेरे कंधे में चोट लग गई थी. कंधे में चोट के बाद मुझे एक साल लग गया ठीक होने में. इस दौरान मुझे लगा था कि मैं अच्छा नहीं कर पाऊंगी क्योंकि डॉक्टर ने मुझसे कहा था कि सर्जरी होगी लेकिन मैंने सर्जरी नहीं कराई और एक्सरसाइज से अपनी चोट को ठीक किया."
कोच ने एक बार फिर 75 किलोग्राम भारवर्ग में वापसी करने की दी सलाह