नई दिल्ली :इरादे मजबूत हों तो मंजिल जरूर मिलती है, इसकी शानदार उदाहरण मोरजिना बेगम हैं. मोरजिना बेगम सभी के लिए उम्मीद की किरण लेकर आई है. खासकर उन लोगों के लिए जो कैंसर जैसे रोग के कारण उम्मीद खो चुके हैं. असम की मोरजिना बेगम जिन्होंने कैंसर को हराकर 65 साल की उम्र में नेशनल मास्टर्स एथलेटिक्स इवेंट में मेडल जीता. मोरजिना की कहानी ऐसी है कि इससे आप भी अंदाजा लगा पाएंगे कि इच्छा शक्ति से इंसान कोई भी असंभव काम कर सकता है.
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साल 2018 में कैंसर का पता करने के बाद पहले मोरजिना का ऑपरेशन हुआ. ऑपरेशन के बाद डॉक्टर बी बोरूराह कैंसर इंस्टीट्यूट में उनका कीमोथेरेपी के जरिए इलाज चला. तीन साल तक मोरजिना ने कैंसर के खिलाफ जंग लड़ी और आखिरकार मैदान पर वापसी के तैयार हो गईं. डॉक्टर्स की मंजूरी के बाद उन्होंने 14 से 18 फरवरी के बीच कोलकाता में हुई नेशनल मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप में हिस्सा लिया. मोरजिना बेगम ने नेशनल मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप के 4×100 मीटर रिले में सिल्वर मेडल जीता. मोरजिना का इलाज करने वाले डॉक्टर और प्रोफेसर मुनलिमा हजारिका ने कहा, मोरजिना को उनकी इच्छा शक्ति के दम पर कामयाबी मिली है.