जोहान्सबर्ग:दक्षिण अफ्रीका के पूर्व तेज गेंदबाज रोजर टेलीमाकस ने कहा, उनके खेलने के दिनों में उनके देश का क्रिकेट सफेद खिलाड़ियों के एक समूह द्वारा नियंत्रित किया जाता था, जिन्हें 'बिग 5' कहा जाता था. टेलीमाकस ने इस बात की व्याख्या की कि यह शब्द कैसे अस्तित्व में आया.
टेलीमाकस ने सामाजिक न्याय और राष्ट्र-निर्माण (एसजेएन) की सुनवाई के दौरान गुरुवार को कहा, यही वह जगह है जहां बिग-5 ने शुरुआत की. वे चयन को नियंत्रित करते थे. वे सब कुछ नियंत्रित करते थे. वे कोच के पास जाते थे और कहते थे कि हम इस तरह से खेलने जा रहे हैं. यही वह जगह है, जहां हमने इन खिलाड़ियों को नाम दिया है.
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खिलाड़ियों के नाम का खुलासा किए बिना, टेलीमाकस ने एडवोकेट सैंडिल जुलाई से कहा, यह सफेद खिलाड़ियों का एक समूह है.
टेलीमाकस ने दावा किया कि वेस्टइंडीज में हुए 2007 विश्व कप में उन्हें एक मैच भी मौका नहीं मिल पाने के लिए समूह आंशिक रूप से जिम्मेदार था. उन्होंने यह भी संकेत दिया कि चयन में राजनीतिक हस्तक्षेप था. इसमें सेमीफाइनल मुकाबला भी शामिल था.
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल में, न तो टेलीमाकस और न ही मखाया एनटिनी खेल सके थे. इस मैच में दक्षिण अफ्रीका सात विकेट से हार गया था.
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एसजेएन की सुनवाई का उद्देश्य क्रिकेट में शामिल लोगों को अतीत में नस्लीय भेदभाव की घटनाओं को याद करने और अब खेल में पूर्वाग्रह की घटनाओं को देखने के लिए एक मंच प्रदान करना है. सुनवाई अगले दो सप्ताह तक चलने वाली है, जिसके बाद लोकपाल एडवोकेट दुमिसा नत्सेबेजा सीएसए को एक रिपोर्ट और सिफारिशें पेश करेंगी. टेलीमाकस ने नौ साल में 37 वनडे और तीन टी- 20 मैच खेले.
कौन थे रोजर टेलीमाकस
27 मार्च 1973 को पैदा हुए रोजर टेलीमेकस एक ऐसे युग के दौरान दक्षिण अफ्रीका के तेज गेंदबाज थे, जब एलन डोनाल्ड, शॉन पोलक, लांस क्लूजनर, मखाया एनटिनी और आंद्रे नेल जैसे पुरुषों ने प्रोटीन तेज गेंदबाजी का नेतृत्व किया था. टेलीमेकस विश्व कप 2007 टीम में मौजूद थे, लेकिन किसी भी मैच में नहीं खेला.
उनके करियर को एक मारिजुआना घोटाले और एक कैलामारी घटना से रोक दिया गया था. सुदत्त मुखर्जी उस व्यक्ति के जीवन को देखते हैं, जिसने प्रसिद्ध जोहान्सबर्ग वन-डे इंटरनेशनल में एडम गिलक्रिस्ट और रिकी पोंटिंग के विकेट लिए थे, जिसमें कुल 872 रन बनाए गए थे.
एक बार पहले भी हो चुके हैं बैन?
1970 में, आईसीसी ने दक्षिण अफ्रीका को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से अनिश्चित काल के लिए निलंबित करने के लिए अपने मेंबर्स द्वारा मतदान करवाया था, जिसका कारण था उस वक्त की उनकी सरकार की रंगभेद की नीति. एक अत्यधिक नस्लवादी नीति के कारण उन्हें केवल श्वेत देशों (इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड) के खिलाफ खेलने की अनुमति थी, जिसमें उनकी टीम में भी केवल श्वेत खिलाड़ी ही खेलेंगे.
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ICC के इस निर्णय ने ग्रीम पोलाक, पीटर पोलक, बैरी रिचर्ड्स, माइक प्रॉक्टर और एडी बार्लो जैसे बेहद प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के टेस्ट करियर का अचानक से अंत कर दिया. वहीं, टोनी ग्रेग, एलन लैम्ब और रॉबिन स्मिथ जैसे भविष्य के सितारों को दूसरे देश जाकर क्रिकेट खेलने और उनका प्रतिनिधित्व करने पर मजबूर किया.