नई दिल्ली:पिछले कुछ साल में आईपीएल ने भारत में एक मजबूत खेल उद्योग बनाने और एक ऐसे पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. जो न केवल टूर्नामेंट के दौरान, बल्कि खेल के सीजन के बाद भी बहुत से व्यक्तियों को रोजगार प्रदान करता है, जिसमें टिकट, रसद, भोजन, सुरक्षा, व्यापारिक और आधिकारिक वर्दी आदि पर काम करने वाले लोग हैं.
जब साल 2008 में आईपीएल शुरू हुआ, तो लीग, कंपनियों और फ्रेंचाइजी ने विदेशी पेशेवरों को काम पर रखा. क्योंकि स्थानीय प्रतिभा के पास इतने बड़े पैमाने के टूर्नामेंट को चलाने के लिए पर्याप्त अनुभव या विशेषज्ञता नहीं थी. लेकिन अब इसमें काफी बदलाव आया है. आज आईपीएल में काम करने वाले ज्यादातर स्टाफ भारत से हैं. अधिकांश आईपीएल मालिक या तो उद्योगपति और स्थापित फिल्म स्टार हैं और उन्हें स्पोर्ट्स लीग चलाने का भी कोई अनुभव नहीं था. लेकिन वे भी समय के साथ विकसित हुए हैं और आईपीएल के 15वें सीजन में फ्रेंचाइजी 100 प्रतिशत पेशेवर रूप से चलाई जाती हैं, जो विशेष रोजगार भी पैदा करती हैं.
यह भी पढ़ें:IPL 2022: रोहित शर्मा पर लगा 12 लाख रुपए का जुर्माना
चाहे फिटनेस ट्रेनर हों, फिजियोथेरेपिस्ट हों, टूर्नामेंट ऑपरेशन स्टाफ हों, फोटोग्राफर हों, वीडियोग्राफर हों, ऐसे विशेषज्ञ होते हैं, जो अन्य वैश्विक लीगों की तरह ही आईपीएल को चलाने के विभिन्न पहलुओं का ध्यान रखते हैं. आईपीएल ने न केवल क्रिकेट को बढ़ने में मदद की है. लीग का योगदान इससे भी आगे जाता है. आईपीएल ने हॉकी, फुटबॉल, बैडमिंटन, कुश्ती, कबड्डी, बैडमिंटन को भी अपनी लीग शुरू करने के लिए प्रेरित किया है. लीग की अधिक संख्या का अर्थ है पारिस्थितिकी तंत्र में शामिल लोगों के लिए अधिक रोजगार के अवसर पैदा करना. क्योंकि लोग अब खेल को गंभीर निवेश और विपणन खर्च के साथ एक साल की लंबी गतिविधि के रूप में देखते हैं.