नई दिल्ली: भारत ने ऑस्ट्रेलिया में जब 1981 में पहली टेस्ट सीरीज ड्रॉ कराई थी तब किस्मत ने भी उसका साथ दिया था. 142 रनों का बचाव करने में विकेट ने अहम रोल निभाया था और मेलबर्न टेस्ट जीता था.
भारत के पूर्व तेज गेंदबाज करसन घावरी ने उस पिच को याद किया और एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए कहा, "कई बार आप काफी मेहनत करते हो लेकिन जीतते नहीं हो. कई बार विकेट आपकी मदद करती है, और परिणाम आपके पक्ष में आता है."
कपिल देव हीरो थे लेकिन घावरी ने चैपल का अहम विकेट लिया था.
उन्होंने कहा, "हम चायकाल के बाद ऑल आउट हो गए थे और उन्हें 143 रनों का लक्ष्य दिया था. जैसे ही हम मैदान पर उतरे, कप्तान सुनील गावस्कर ने गेंदबाजों को सटीक लाइन लैंग्थ के साथ गेंदबाजी करने को कहा. उन्होंने कहा कि इस विकेट पर सटीकता ही अहम है. विकेट काफी बुरी थी, जिसमें काफी सारी दरारें थीं और आपको नहीं पता कि कब कौनसी गेंद कहां जाए."
कोहली की पैटरनिटी लीव पर पहली बार सामने आया रवि शास्त्री का बयान, कहा...
घावरी ने जॉन डायसन का विकेट लिया, लेकिन अब चैपल थे.
घावरी ने कहा, "चैपल के आने से पहले गावस्कर ने मुझे पहली गेंद बाउंसर डालने को कहा इसलिए मैंने ऐसा किया. लेकिन गेंद किसी तरह उन दरारों पर जा पड़ी और उठी नहीं. वह शॉर्ट पिच गेंद की तैयारी कर रहे थे, वो गेंद उठी ही नहीं और नीची रह गई. उनका लेग स्टम्प दिख रहा था और गेंद लेग स्टम्प पर जा लगी और वह आउट हो गए."