नई दिल्ली: गुजरात के नडियाड शहर में रहने वाले लेफ्ट आर्म स्पिनर अक्षर पटेल के माता-पिता ने स्कूल में उच्च रैंक होने के बावजूद अपने बेटे का क्रिकेट में जाने का विकल्प दिया और आज अक्षर ने अपने डेब्यू टेस्ट में सफलता अर्जित कर उनके विश्वास को जिंदा रखा.
अक्षर पटेल अपने पदार्पण टेस्ट में पांच या उससे ज्यादा विकेट लेने वाले छठे भारतीय स्पिनर बन गए हैं. 27 वर्षीय पटेल ने चेन्नई के एमए चिदंबरम स्टेडियम में इंग्लैंड के खिलाफ खेले गए दूसरे टेस्ट मैच के चौथे दिन मंगलवार को दूसरी पारी में 60 रन देकर पांच विकेट चटकाए.
अक्षर के पिता चाहते थे कि उनका बेटा इंजीनियर बने, लेकिन 1996-2015 तक खेड़ा जिला क्रिकेट के सचिव और सहसचिव संजयभाई पटेल ही थे, जिन्होंने अक्षर के पिता को मनाया कि लेफ्ट आर्म स्पिनर को क्रिकेट पर ध्यान देने दें.
संजयभाई पटेल ने नडियाड जिले से एक समाचार एजेंसी से बात करते हुए कहा, "अक्षर पढ़ाई में बहुत अच्छे थे और रैंक भी ज्यादा थी. उनके माता-पिता चाहते थे कि वह एक इंजीनियर बने. हर कोई माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे का भविष्य उज्जवल हो. मैंने उनके पिता से बात की और मैं उनके जवाब से खुश था. वह उनमें से थे, जिन्होंने अपने बेटे के लिए पढ़ाई से ज्यादा क्रिकेट को प्राथमिकता दिया."
संजयभाई पटेल ने अक्षर पटेल को 14 साल की उम्र से ही कोचिंग देना शुरू कर दिया था. अक्षर अंतर-जिला स्तर पर मैन ऑफ द सीरीज रहे थे. उन्हें बेस्ट बैट्समैन और बेस्ट बाएं हाथ का तेज गेंदबाज का पुरस्कार मिला था और तभी अक्षर ने लेफ्ट आर्म स्पिनर गेंदबाजी करना शुरू किया था.
संजयभाई ने कहा, "शुरुआत में, जूनियर स्तर पर वह एक लेफ्ट आर्म तेज गेंदबाज थे. आमतौर पर जब उनकी टीम मैच जीतती थी, तो वह मजे लेने के लिए लेफ्ट आर्म स्पिन गेंदबाजी करते थे. वह दुबले थे, अपनी उम्र के लिहाज से लंबे थे और लंबे स्ट्राइड भी थे. उनकी सटीकता के कारण उन्हें विकेट मिलने लगे."