दिल्ली

delhi

उमेश यादव ने याद किया दिलीप ट्रॉफी का किस्सा.. जब द्रविड़ और लक्ष्मण का लिया था विकेट

By

Published : Jun 7, 2020, 9:30 AM IST

उमेश यादव ने दिलीप ट्रॉफी के दिनों को याद करते हुए कहा, "मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं इतने दबाव में बेहतरीन गेंदबाजी कर सकता हूं. मैंने दक्षिण क्षेत्र के लिए खेलते हुए द्रविड़ और लक्ष्मण के विकेट सहित कुल पांच विकेट झटके थे. इससे मेरा आत्मविश्वास काफी बढ़ा."

Umesh Yadav
Umesh Yadav

नई दिल्ली:भारतीय तेज गेंदबाज उमेश यादव ने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 10 साल पूरे किए हैं. वे अपने करियर में बहुत आगे आ चुके है और इस बीच उन्हें जितना भी मौका मिला उन्होंने अपना बेस्ट दिया.

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण से पहले दिलीप ट्रॉफी के दिनों को याद करते हुए उमेश ने कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वे राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण जैसे दिग्गज खिलाड़ियों के खिलाफ बेहतरीन गेंदबाजी कर पाएंगे.

दिलीप ट्रॉफी में द्रविड़ और लक्ष्मण का लिया था विकेट

दक्षिण क्षेत्र के लिए खेलते हुए द्रविड़ और लक्ष्मण के खिलाफ गेंदबाजी की थी और उन्होंने इस मैच में इन दो दिग्गज बल्लेबाजों के विकेट सहित कुल पांच विकेट चटकाए थे. यह मैच उनके करियर का अहम मोड़ साबित हुआ था. इस मैच में उमेश विदर्भ के सिलेक्टर्स को आकर्षितकरने में कामयाब रहे थे.

राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण

उमेश ने कहा, "जब मैं दिलीप ट्रॉफी मैच खेलने गया, तो मुझे मालूम चला कि हमारा मैच उस टीम के साथ है जिसमें हमें द्रविड़ और लक्ष्मण जैसे दिग्गज बल्लेबाजों के खिलाफ खेलना है और यह जानकर मैं भयभीत हो गया."

उन्होंने कहा, "मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं इतने दबाव में बेहतरीन गेंदबाजी कर सकता हूं. मैंने दक्षिण क्षेत्र के लिए खेलते हुए द्रविड़ और लक्ष्मण के विकेट सहित कुल पांच विकेट झटके थे. इससे मेरा आत्मविश्वास काफी बढ़ा."

तेज गेंदबाज ने कहा, "क्रिकेट मेरे जीवन का हिस्सा है, इसके बिना मेरा जीवन अधूरा है. तेज गेंदबाजी ने मुझे पहचान दिलाई और तेज गेंदबाज के रुप में ही मेरी पहचान बनी है. जब मैं गेंदबाजी करता हूं तो उस वक्त एक अलग ही दुनिया में रहता हूं."

उमेश यादव

उमेश ने बचपन के दिनों को किया याद

बचपन के दिनों को याद करते हुए उन्होंने कहा, "मैं बचपन में काफी शरारती था और रातभर नहीं सोता था. मुझे खेतों में जाकर आम तोड़ने की आदत थी. हां, मैं शरारती था, लेकिन अन्य बच्चों की तरह मेरे भी कुछ सपने थे. मुझे अपने ऊपर भरोसा था कि मैं जीवन में कुछ कर सकता हूं."

उमेश यादव

उमेश ने कहा, "मुझे घर से पैसे नहीं मिलते थे, लेकिन मुझे बल्ला, पैड और अन्य खेल का सामान खरीदना था. इसके लिए मेरे पास पैसे कैसे आते. इसलिए मैं तपती धूप में भी प्रतिदिन तीन मैच खेला करता था. मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था कि नागपुर में कितनी गर्मी है जहां मैं खेलता था, लेकिन वो दौर मेरे लिए संघर्ष का समय था."

ABOUT THE AUTHOR

...view details