नई दिल्ली:बीसीसीआई के कोषाध्यक्ष अरुण धूमल ने कहा कि बोर्ड की आगामी वार्षिक आम बैठक (एजीएम) में पदाधिकारियों के 70 साल की उम्र सीमा को बदलने के बारे में विचार नहीं किया जाएगा लेकिन कूलिंग ऑफ (दो कार्यकाल के बाद विश्राम का समय) के नियम को बदलने पर विचार किया जाएगा क्योंकि इससे अधिकारियों के अनुभव का सही फायदा होगा.
सौरव गांगुली के अध्यक्ष बनने के बाद पहली एजीएम के लिए जारी कार्यसूची में बोर्ड ने मौजूदा संविधान में महत्वपूर्ण बदलाव करने का प्रस्ताव दिया है जिससे सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त लोढ़ा समिति की सिफारिशों पर आधारित सुधारों पर असर पड़ेगा.
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुमोदित नए कानून के मुताबिक बीसीसीबाई या राज्य संघों में तीन साल के कार्यकाल को दो बार पूरा करने वाले पदाधिकारी को तीन साल तक 'कूलिंग ऑफ पीरियड' में रहना होगा.
बीसीसीआई के नए पदाधिकारी चाहते है कि 'कूलिंग आफ' का नियम उन पर लागू हो जिन्होंने बोर्ड या राज्य संघ में तीन-तीन साल का दो कार्यकाल पूरा किया है यानि बोर्ड और राज्य संघ के कार्यकाल को एक साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए.
धूमल ने कहा,"हमने उम्र की सीमा में कोई बदलाव नहीं किया है. उसे पहले की तरह रहने दिया है. कूलिंग ऑफ पीरियड के मामले में हमारा मानना ये है कि अगर किसी ने राज्य संघ में काम का अनुभव हासिल किया है तो उस अनुभव का फायदा खेल के हित में होना चाहिए। अगर वह बीसीसीआई के लिए योगदान कर सकता है तो उसे ऐसा करना चाहिए."
उन्होंने कहा,"राज्य संघ में दो कार्यकाल पूरा करने के बाद अगर किसी का कूलिंग ऑफ पीरियड 67 वर्ष की उम्र में शुरू होता है तो इस अवधि के खत्म होने तक वो 70 साल का हो जाएगा और बीसीसीआई के लिए कोई योगदान नहीं कर सकेगा."