मुंबई : मशहूर सिंगर सुनिधि चौहान ने कहा कि संगीत जगत में उनका दो दशक लंबा करियर लगातार सीखते रहने का सफर रहा है. चौहान पिछली दो पीढ़ियों की सबसे तेजी से लोकप्रिय होने वाली कलाकारों में रही हैं, जिनके गाए गाने आज भी म्यूजिक लिस्ट में टॉप पर रहते हैं.
पार्श्व गायिका ने कहा कि उन्हें लगता है कि जैसे यह कल की ही बात है, जब उन्होंने 1996 में 13 साल की उम्र में अपना करियर शुरू किया था, लेकिन जिस चीज ने उन्हें संगीत जगत में जरूरी बनाए रखा है, वह है 'प्रयोग' करने की उनकी इच्छा.
चौहान ने एक साक्षात्कार में कहा, 'मुझे नहीं पता कि यह 25 साल कैसे बीत गए, ये शानदार रहे, मैंने आगे बढ़ने का हर तरीका सीखा, मैंने जब इस उद्योग में कदम रखा था, तब मुझे पता था कि मेरी जरूरत नहीं है, लोग उनके पास जो था, उससे खुश थे और उस वक्त कई दिग्गज गायक थे.'
13 की उम्र में गाया पहला गाना
उन्होंने कहा, 'लेकिन सौभाग्य से मुझे वह एक मौका मिला, जब किसी ने मुझ पर भरोसा किया और महसूस किया कि वे बदलाव, एक नयी आवाज चाहते हैं और मैंने गाना शुरू किया, फिर एक अलग समय आया, जब संगीत बदलने लगा और लोग जिस तरह का संगीत सुनते थे, वह भी बदलने लगा, मैं हर बदलाव का हिस्सा रही हूं, जिसके लिए मैं शुक्रगुजार हूं.'
चौहान सिर्फ 13 साल की थीं, जब उन्होंने 1996 की फिल्म ‘शास्त्र’ के लिए ‘लड़की दीवानी लड़की दीवाना’ गीत के साथ पार्श्व गायिका के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी.
गायिका को उर्मिला मातोंडकर अभिनीत 'मस्त' (1999) के साथ बड़ा ब्रेक मिला, जिसमें उन्होंने ‘रुकी रुकी’ और ‘मैं मस्त’ जैसे गाने गाए और इसके बाद ‘फिजा’ का चार्टबस्टर ‘महबूब मेरे’ गाया.