मुंबई: ओशो के नाम से मशहूर रजनीश की सेकेट्री मां आनंद शीला इस समय भारत में हैं. वह 1980 से 1985 तक भगवान रजनीश की पर्सनल सेकेट्री थीं. उन्हें रजनीश कम्यून और रजनीशपुरम के निर्माण का श्रेय दिया जाता है. वह हाल ही में नेटफ्लिक्स सीरीज 'वाइल्ड वाइल्ड कंट्री' की बदौलत सुर्खियों में आईं, जिसने विवादास्पद स्वर्गीय ओशो की सच्ची कहानी दर्शाई, जिसने 1980 के दशक में सेंट्रल ओरेगन में एक सेक्स पंथ की स्थापना की थी.
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34 वर्षों के बाद अपनी भारत यात्रा के दौरान, मां आनंद शीला ने फिल्म निर्माता करण जौहर के साथ एनजीओ 'ह्यूमन फॉर ह्यूमैनिटी एंड सिपिंग थॉट्स' द्वारा आयोजित एक इंटरेक्शन में हिस्सा लिया. मां आनंद शीला ने दावा किया कि लोकप्रिय धारणा के विपरीत, भागवान के दोनों संप्रदायों - पुणे और रजनीशपुरम में सेक्स का कभी दुरुपयोग नहीं किया गया. एक प्रमुख समाचार एजेंसी की रिपोर्ट की माने तो उन्होंने कहा, 'पुणे या रजनीशपुरम में हमारे कम्यून में सेक्स का कोई दुरुपयोग नहीं हुआ था. हालांकि, हमने सेक्स के बारे में बात की है. यह ऐसा है जैसे आप किसी के प्रति आकर्षित होते हैं तो आप अपना आकर्षण व्यक्त करते हैं.'
जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें रजनीश से प्यार नहीं था, तो उन्होंने कहा कि, 'गुरु भी मुझसे बहुत प्यार करते थे.' उन्होंने आगे कहा, '... आपको कुछ तस्वीरों को देखना चाहिए और देखना चाहिए कि वह मेरी तरफ कैसे देखते थे' आगे एक किस्सा साझा करते हुए मां आनंद शीला ने कहा कि एक बार ओशो के साथ उन्होंने क्लासिक फिल्म 'उमराव जान' भी देखी थी. शीला ने खुलासा किया, 'इस फिल्म में प्रेम पर एक कविता थी. हमने अपना काम खत्म कर लिया और फिर भगवान ने कहा, सीला... आओ, यहां बैठो. मैं उनके पास बैठ गई और उन्होंने मुझे उस कविता का हर शब्द समझाया. यह बेहद खूबसूरत था.' इसके बाद उनसे यह भी पूछा गया कि क्या ओशो के साथ उनका कोई यौन संबंध नहीं था? इसपर जवाब देते हुए वो कहती हैं कि हमारा संबंध यौन संबंध नहीं था. यह सच है क्यूंकि मैं पहले से ही उनके प्रति आकर्षित थी और धीरे धीरे उनमें और ज्यादा डूबती जा रही थी.
ओशो के साथ शीला ने 1984 के रजनीश में हुए आतंकवाद हमले में अहम भूमिका निभाई थी जिसके लिए उन्हें हत्या और हमले का प्रयास करने का दोषी ठहराया गया. उन्हें 20 साल की सजा सुनाई गई और 39 महीने बाद उसे परोल दिया गया और बाद में वो स्विटजरलैंड चली गई. हालांकि, उन्हें अपने जीवन में कोई पछतावा नहीं है. उन्होंने कहा, 'मैंने जो कुछ भी किया है, उसमें मैंने अपनी पूरी श्रद्धा दी है. एक संदेश जो मैं यहां मौजूद हर किसी को देना चाहती हूं वो है की आप जो हैं वैसे ही बने रहें; मैं मैं हूं और हमेशा ऐसे ही रहूंगी. मैंने जीना सीख लिया है.'
अंत में मां आनंद शीला ने करण को स्विस चॉकलेट का एक बॉक्स भेंट किया और उन्हें बताया, 'यह सबसे अच्छे स्विस चॉकलेट हैं, करण, और यह सेक्स के बाद और भी बेहतर स्वाद देते हैं.' यही नहीं, उन्होंने एक और बात साझा करते हुए कहा उन्होंने एक इंसान से इसलिए भी शादी कर ली थी क्यूंकि वो एक शर्त हार गई थी. जिस पर करण ने तुरंत जवाब दिया, 'आप सलमान खान की तरह हैं, वो भी एक बार कमिटमेंट कर दें तो अपनी भी नहीं सुनते.' मां शीला के साथ NGO का अगला कार्यक्रम 2 अक्टूबर को है, वह 25 अक्टूबर तक भारत में है.