मुंबई : फिल्म निर्माता राजकुमार हिरानी का असली सफर साल 2003 में संजय दत्त की फिल्म 'मुन्ना भाई एमबीबीएस' से शुरु हुआ. यह फिल्म राजकुमार हिरानी के लिए उनके करियर में टर्निंग प्वाइंट साबित हुई थी.
हिरानी ने बतौर निर्देशक इसी फिल्म से बॉलीवुड में अपना डेब्यू किया था. जो कि देश के साथ-साथ विदेशों में भी खूब चली थी. अपनी पहली ही फिल्म के लिए उनको कई अवार्ड से नवाजा गया था.
नागपुर में 20 नवंबर साल 1962 को पैदा हुए राजकुमार हिरानी आज 58 साल के हो गए हैं.
उनका परिवार उन्हें एक चार्टर्ड अकाउंटेंट बनाना चाहता था. लेकिन राजकुमार को शुरू से ही थिएटर और फिल्मों में इंटरेस्ट था. वह अपने पिता के व्यवसाय में उनकी मदद जरूर किया करते थे, लेकिन वह शुरू से ही एक एक्टर बनना चाह रहे थे.
राजकुमार हिरानी ने फिल्मों की तरफ अपने झुकाव की वजह से फिल्म एंड टेलिविजन इंस्टीट्यूट ऑफ पुणे से पढ़ाई भी की है. हालांकि अभिनय और निर्देशकीय पाठ्यक्रमों में प्रवेश की संभावना कम लगने के बाद से उन्होंने एडिटिंग कोर्स में दाखिला लिया.
कोर्स खत्म होने के बाद हिरानी ने कई सालों तक मुंबई में संघर्ष किया.
फिर कुछ ही समय बाद राजकुमार हिरानी ने विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म 'ए लव स्टोरी' और 1998 में 'करीब' के प्रोमो के लिए काम किया और इसके बाद 2000 में 'मिशन कश्मीर' और 2001 में 'तेरे लिए' के लिए एडिटिंग की.
लेकिन निर्देशक के रूप में उनका असली सफर 2003 में संजय दत्त की फिल्म 'मुन्ना भाई एमबीबीएस' से ही शुरू हुआ.
फिर साल 2009 में चेतन भगत की लिखी किताब पर बनी फिल्म '3 ईडियट्स' ने रिलीज के बाद बॉक्स ऑफिस पर सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए. इस फिल्म ने भारत के साथ-साथ दुनिया भर में अपना जलवा बिखेरा.
इस फिल्म के बाद आमिर खान के साथ उनकी दूसरी फिल्म 'पीके' भी बड़ी फिल्म मानी जाती है. इन फिल्मों की बेशुमार कामयाबी ने राजकुमार हिरानी को बॉलीवुड में एक बड़े डायरेक्टर का दर्जा दिला दिया.
राजकुमार की फिल्में अक्सर कॉमेडी के साथ हमें एक खास मैसेज भी देती हैं. वह अपनी फिल्मों में ज्यादातर कोशिश यह करते हैं कि दर्शक एंटरटेन भी हों और उनकी फिल्मों से उन्हें कुछ सिखने को भी मिले.
जिसको लेकर राजकुमार के खास दोस्त और सहयोगी बोमन ईरानी ने एक बार बताया था कि हिरानी को यह अच्छे से मालूम है कि कैसे दर्शकों को बिना एहसास कराए उन पर एक गहरा छाप छोड़ना है.
उनकी सफलता के पीछे एक और मुख्य कारण यह भी है कि उनके पास हमेशा किसी प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए एक यूनिक आइडिया होता है.
फिल्म निर्माता का मानना है कि अगर किसी व्यक्ति को "पहले कभी नहीं देखा गया है" तो उसे जांचने के लिए सार्वजनिक जांच से बचना होगा.
'लगे रहो मुन्ना भाई' को अच्छी प्रतिक्रिया मिली, क्योंकि यह 'दादागिरी' के आसपास घूमती है. दोनों फिल्मों की ब्लॉकबस्टर सफलता के बाद भी, हिरानी ने मुन्नाभाई फ्रैंचाइज़ी के तहत फिल्म बनाने पर जोर नहीं दिया क्योंकि उनका मानना था कि एक अच्छी कहानी के बिना "इसकी फ्रैंचाइज़ी को बनाना बेकार है."
फ़िल्म इंडस्ट्री में हर साल अनगिनत मूवी बनती है. समाज में प्रवर्तमान अच्छी बुरी चीजों को एक कहानी के ज़रिये प्रदर्शित करना एक मुश्किल कला है.
राज कुमार हिरानी ने इसी असामान्य कला पर कुशलता प्राप्त की है. अगर उनकी अधिकतर फिल्म का अवलोकन किया जाए तो पता चलता है की वह अपनी हर फिल्म से एक सकारात्मक संदेश देना चाहते हैं और उनकी ज्यादातर फिल्म हास्यरस से भरपूर भी होती है.
कुछ फिल्म को नज़रअंदाज कर दिया जाए तो राजकुमार हिरानी की अधिकतर फिल्में सुपरहिट ही रही हैं. यह काबिल निर्देशक कई निर्देशक के लिए प्रेरणा स्वरूप हैं.
कहानी को दिलचस्प बनाए रखने के लिए हिरानी ने अपने आस-पास की चीज़ों से बहुत कुछ सिखते हैं और अपनी कहानियों को स्थायी बनाने के लिए वह चीजों को बारीकि के साथ अपने व्यक्तिगत अनुभवों से प्राप्त करते हैं.
2018 में सिनेस्तान स्क्रिप्ट प्रतियोगिता के दूसरे संस्करण में बोलते हुए, हिरानी ने कहा था कि उनका मानना है कि छोटे शहर कहानियों का एक बड़ा बैंक हैं क्योंकि लोगों को वहां जीवन जीने के लिए अधिक जोखिम उठाना होता है जबकि बड़े शहरों में एक मजबूत सामाजिक संपर्क की कमी होती है जिसके परिणामस्वरूप सीमित जीवन के अनुभव होते हैं.
राजकुमार ने एक बार यह भी कहा था कि फिल्म का कोई भी सीन तीन तत्वों में निहित है - हंसी, आंसू और ड्रामा. अगर यह सब सही मात्रा में रहा तो फिल्म हिट है.
हिरानी लेखक अभिजात जोशी के साथ मिलकर काम करते हैं. ऐसे में उनका कहना है कि इससे पहले कि कोई भी उस स्क्रिप्ट को सुनते हैं तो वे उसे इस बात के साथ आंकते हैं कि वे कथन के दौरान दृश्य पर कैसे प्रतिक्रिया देंगे.
राजकुमार हिरानी और अभिजात जोशी हिरानी और जोशी जो एक फली में दो मटर हैं, जो कभी भी निर्धारित नियमों का पालन नहीं करते हैं. केवल एक चीज जो धार्मिक रूप से अनुसरण करती है, वह यह है कि फिल्म मनोरंजक होनी चाहिए.
अपनी बेहतरीन फिल्मों के लिए राजकुमार हिरानी को अब तक 11 फिल्म फेयर अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है.
जानकारी के मुताबिक, फिलहाल राजकुमार हिरानी तीन परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं, जिनमें से एक भारतीय टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में पहली बार शतक जमाने वाले बल्लेबाज लाला अमरनाथ की बायोपिक है, दूसरी एक सोशल कॉमेडी है और तीसरी क्रिकेट पर ही आधारित एक काल्पनिक कहानी है. हालांकि कोई नहीं जानता कि वे सबसे पहले इनमें से किस कहानी पर काम करेंगे. इसके बारे में जानकारी अभी उन्होंने गुप्त रखी है.