दुबई :शेख नवाफ साल 2006 से शहजादे थे. वह कुवैत के राजपरिवार की अल जबीर और अल सलीम शाखाओं के बीच एक के बाद एक कर सत्ता में आने की पारंपरिक व्यवस्था को लांघ कर यहां पहुंचे थे.
वैसे तो शेख नवाफ (83) का सिंहासन तक पहुंचना कुवैत के संविधान के मुताबिक ही है लेकिन ऐसी संभावना है कि पर्दे के पीछे अब इस बात के लिए जोड़तोड़ होगा कि देश का अगला शहजादा कौन होगा.
इन चर्चाओं में थोड़ा वक्त लगेगा क्योंकि कुवैत अपने दिवंगत शासक शेख सबाह अल अहमद अल सबाह के इंतकाल का शोक मना रहा है. वह मंगलवार को 91 साल की उम्र में चल बसे.
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शेख सबाह ने कतर और अन्य अरब देशों के बीच विवाद के कूटनीतिक हल के लिए भी कोशिशें कीं और यह प्रयास आज की तारीख तक जारी रहे.
वह 2006 में कुवैत के अमीर बने थे. इससे पहले कुवैत की संसद ने उनके पूर्ववर्ती अमीर शेख साद अल अब्दुल्लाह अल सबाह को नौ दिन के शासन के बाद ही बीमारी की वजह से तख्त से हटा दिया था.
इराकी फौजें 1990 में कुवैत में घुस आई थीं. इसके बाद अमेरिकी नीत जंग में इराकी सेना को खदेड़ दिया गया था. इसके बाद से ही कुवैत अमेरिका का घनिष्ठ सहयोगी है.
शेख सबाह का जन्म 16 जून, 1929 को हुआ था. उन्हें 1963 में देश का विदेश मंत्री बनाया गया था और वह चार दशक तक इस पद पर रहे. उनके सौतेले भाई और तत्कालीन अमीर शेख जबर अल अहमद अल सबाह ने उन्हें 2003 में देश का प्रधानमंत्री नियुक्त किया था.