नई दिल्ली: नेपाल के वयोवृद्ध इतिहासकार सत्य मोहन जोशी का निधन हो गया. उन्होंने नेपाल का प्रतिष्ठित सम्मान शताब्दी पुरुष से सम्मानित किया गया था. उनका निधन आज सुबह हुआ. वह 103 साल के थे, पिछले कुछ समय से उन्हें निमोनिया, डेंगू और दिल से संबंधित समस्या थी. और वे अस्पताल में भर्ती थे. केआईएसटी मेडिकल कॉलेज एंड टीचिंग हॉस्पिटल के निदेशक सूरज बजराचार्य के मुताबिक, जोशी का रविवार सुबह 7:09 बजे निधन हो गया. उनका 23 सितंबर से प्रोस्टेट और हृदय संबंधी बीमारियों का इलाज चल रहा था.
10 अक्टूबर को उसकी स्थिति में सुधार नहीं होने पर उसे गहन चिकित्सा इकाई में स्थानांतरित कर दिया गया था. नेपाली मीडिया से बात करते हुए जोशी के बेटे अनु राज जोशी, जो अस्पताल में उनकी देखभाल कर रहे थे, ने कहा कि उन्होंने अपना शरीर दान किया है लेकिन परिवार ने अभी तक यह तय नहीं किया है कि उनके शरीर का क्या करना है. हमें अभी इस पर चर्चा करनी है कि आगे क्या करना है. पिछले साल, जोशी दंपति ने उनकी मृत्यु के बाद उनके शरीर को अनुसंधान के लिए अस्पताल को दान करने के लिए अस्पताल के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.
अनु राज ने कहा कि यह एक नया परिदृश्य है क्योंकि हमने इसका कभी अनुभव नहीं किया है. अस्पताल सूत्रों के अनुसार शुक्रवार से जोशी की तबीयत बिगड़ गई. गुरुवार से उन्हें ऑक्सीजन दी जा रही थी और उनकी हृदय गति भी अस्थिर थी. जोशी यूरिन इन्फेक्शन और निमोनिया से भी पीड़ित थे. हाल ही में एक रक्त परीक्षण से पता चला कि उन्हें भी डेंगू है. जोशी लंबे समय से प्रोस्टेट और हृदय रोग से पीड़ित थे. इलाज के लिए उन्हें पहले भी कई बार अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इससे पहले 14 अप्रैल को सीने में दर्द और पेशाब करने में दिक्कत होने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. चार दिन अस्पताल में रहने के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई.