जापोरिज्जिया (यूक्रेन) : यूक्रेन के तबाह हो चुके बंदरगाह शहर मारियुपोल में एक इस्पात संयंत्र के नीचे बंकरों में शरण लिए नागरिकों का अंतिम जत्था भी रविवार देर रात जापोरिज्जिया शहर पहुंचा. बंकरों से निकाले गए लोगों ने लगातार बमबारी, भोजन की कमी और भोजन पकाने के लिए ईंधन के तौर पर हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करने की बात कही.
जापोरिज्जिया की सुनसान सड़कों पर रात के घने अंधेरे के बीच 10 बसें मारियुपोल इलाके से 174 लोगों को लेकर पहुंचीं. इनमें अजोवस्तल इस्पात संयंत्र से अंतिम दिन बचाए गए 51 में से 30 नागरिक शामिल थे. ऐसा अनुमान है कि इस संयंत्र में यूक्रेन के तकरीबन 2,000 लड़ाके फंसे हुए हैं. अजोवस्तल में 10 मार्च से शरण लिए 69 वर्षीय ल्युबोव आंद्रोपोवा ने कहा, 'बंकरों में हालात बहुत भयंकर थे. छत से पानी टपकता था. हम बच्चों के लिए, उनके फेफड़ों के लिए चिंतित थे.' उन्होंने बताया कि लगातार बमबारी हो रही थी और ऐसी आशंका थी कि बंकर ढह जाएगा.
समुद्र किनारे स्थित यह इस्पात संयंत्र ही मारियुपोल में इकलौता हिस्सा है जो रूस के नियंत्रण में नहीं है. इसमें बनी गहरी सुरंगों और बंकरों के कारण कई नागरिकों ने इसे लगातार हो रही बमबारी से छिपने के लिए सुरक्षित जगह के तौर पर चुना. यूक्रेन में 24 फरवरी को युद्ध शुरू होने के कुछ दिनों बाद ही दिमित्रो स्वीदाकोव ने अपनी पत्नी और 12 साल की बेटी के साथ बंकरों में शरण ले ली थी.