वियना : नाउम्मीदी के बीच ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर वियना में वार्ता बहाल होगी. वैश्विक ताकतों के साथ ईरान की 2015 की परमाणु वार्ता को फिर से बहाल करने के लिए वियना में वार्ताकार एकत्र हुए हैं. ईरान में कट्टरपंथी सरकार के गठन के पांच महीने बाद होने वाली इस वार्ता में प्रगति की बहुत कम संभावना है.
परमाणु समझौते को औपचारिक रूप से 'संयुक्त व्यापक कार्य योजना' के रूप में जाना जाता है और इसके हस्ताक्षरकर्ताओं में ईरान, रूस, चीन, फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन शामिल हैं. आलीशान होटल 'पालिस कोबर्ग' में यह वार्ता होगी जहां छह साल पहले समझौते पर इन देशों ने हस्ताक्षर किए थे.
वार्ता ऐसे वक्त हो रही है जब कोरोना वायरस के मामलों में बढ़ोतरी के कारण ऑस्ट्रिया में लॉकडाउन लागू है. ईरान को समझौते के पालन के लिए राजी करने और अमेरिका के फिर से जुड़ने का मार्ग प्रशस्त करने के उद्देश्य से वार्ता का अंतिम दौर जून में आयोजित किया गया था. तब से वार्ता प्रक्रिया की राह और कठिन हो गई है.
अमेरिका भी वार्ता में शामिल
अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2018 में समझौते से अपने देश को बाहर करने की घोषणा की थी. इस वजह से अमेरिका इस वार्ता से अलग था. राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अमेरिका को फिर से वार्ता में शामिल करने का संकेत दिया और कहा कि अमेरिका समझौते से जुड़ना चाहता है. इसके बाद से अमेरिका, ईरान के लिए अमेरिकी प्रशासन के विशेष दूत रॉबर्ट माली के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल वार्ता में अप्रत्यक्ष रूप से हिस्सा ले रहा है.
समझौते के तहत आर्थिक पाबंदियों में ढील दिए जाने के बदले ईरान ने यूरेनियम संवर्द्धन की सीमा को सीमित किया था. समझौते के पटरी से उतरने के बाद ईरान अब यूरेनियम का 60 प्रतिशत तक संवर्द्धन कर रहा है. परमाणु हथियार बनाने के लिए 90 प्रतिशत संवर्द्धन की सीमा से वह कुछ ही पीछे है. ईरान उन्नत सेंट्रीफ्यूज का भी उपयोग करता है जो समझौते द्वारा वर्जित है और उसका यूरेनियम भंडार अब समझौते की सीमा से कहीं अधिक है.