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तालिबान का प्रवक्ता नहीं है पाकिस्तान : प्रधानमंत्री इमरान खान

अफगानिस्तान में हो रहे घटनाक्रम से पाकिस्तान को अलग करते हुए खान ने कहा कि हम सब अफगानिस्तान में अमन-चैन चाहते हैं. उन्होंने कहा कि अफगानों के पास विकल्प था कि या तो अमेरिका समर्थित सैन्य समाधान में संलिप्त रहे या एक राजनीतिक समझौता करना जहां एक समावेशी सरकार हो. उन्होंने कहा दूसरा विकल्प ही एकमात्र समाधान है.

प्रधानमंत्री इमरान खान
प्रधानमंत्री इमरान खान

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Published : Jul 29, 2021, 8:41 PM IST

इस्लामाबाद : पाकिस्तान केप्रधानमंत्री इमरान खान (Pak PM Imran Khan) ने कहा कि पाकिस्तान तालिबान का प्रवक्ता नहीं है और अमेरिका तथा उसके सहयोगियों के सैनिकों की वापसी के बाद अफगानिस्तान में आतंकी समूह की कार्रवाई के लिए इस्लामाबाद को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.

अफगान मीडिया प्रतिनिधियों के लिए अपनी टिप्पणियों में खान ने यह भी कहा कि अफगानिस्तान में जो भी रहेगा उसके साथ पाकिस्तान के अच्छे संबंध होंगे. खान का यह बयान गुरुवार को प्रसारित किया गया.

'डॉन' अखबार के मुताबिक खान ने कहा कि तालिबान जो कर रहा है या नहीं कर रहा है, उसका हमसे कोई लेना-देना नहीं है. हम इन सब चीजों के लिए जिम्मेदार नहीं हैं, न ही हम तालिबान के प्रवक्ता हैं. खान की यह टिप्पणी ऐसे वक्त आयी है जब पाकिस्तान बार-बार कह रहा है कि अफगान शांति प्रक्रिया में किसी भी अवरोध के लिए उसकी कोई जिम्मेदारी नहीं होगी. तालिबान से हुए समझौते के तहत अमेरिका और नाटो अपने सभी सैनिकों को बुलाएगा और तालिबान अपने नियंत्रण वाले क्षेत्र में आतंकी समूहों पर लगाम लगाएगा.

अफगानिस्तान में हो रहे घटनाक्रम से पाकिस्तान को अलग करते हुए खान ने कहा कि हम सब अफगानिस्तान में अमन-चैन चाहते हैं. उन्होंने कहा कि अफगानों के पास विकल्प था कि या तो अमेरिका समर्थित सैन्य समाधान में संलिप्त रहे या एक राजनीतिक समझौता करना जहां एक समावेशी सरकार हो. उन्होंने कहा दूसरा विकल्प ही एकमात्र समाधान है.

खान ने सवाल किया कि पाकिस्तान में तीस लाख अफगान शरणार्थी हैं, उनमें से लगभग सभी पश्तून हैं और अधिकांश की तालिबान के साथ सहानुभूति होगी. पाकिस्तान कैसे देखेगा कि वहां कौन लड़ने जा रहा है, जब हर दिन 30,000 लोग सीमा पार कर रहे. पाकिस्तान कैसे इसे रोकेगा?

खान ने कहा कि पाकिस्तान के लिए शरणार्थी शिविरों के माध्यम से यह पता लगाना संभव नहीं है कि कौन तालिबान समर्थक है और कौन नहीं. साथ ही कहा कि हाल तक दोनों देशों के बीच कोई प्रत्यक्ष सीमा नहीं थी.

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उन्होंने अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच 2,640 किलोमीटर लंबी सीमा का जिक्र करते हुए कहा कि डूरंड रेखा काल्पनिक थी. प्रधानमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान ने सीमा पर बाड़ लगाने का 90 प्रतिशत काम पूरा कर लिया है. उन्होंने कहा, 'हम अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं है, जब यहां 30 लाख से ज्यादा शरणार्थी हैं.

उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में गृह युद्ध छिड़ना पाकिस्तान के हित में नहीं है. खान ने सवाल किया कि अफगानिस्तान पर कब्जा करने के लिए किसी का समर्थन करने में पाकिस्तान की क्या दिलचस्पी हो सकती है?' खान ने कहा कि पाकिस्तान का इस बात से कोई लेना-देना नहीं है कि 150,000 नाटो सैनिक अफगानिस्तान में सफल क्यों नहीं हुए. उन्होंने कहा कि यह ठीक वैसा ही है जैसा अमेरिकियों ने वियतनाम में किया था. जब वे वियतनाम में विफल हुए तो उन्होंने कंबोडिया या लाओस के विद्रोहियों को दोषी ठहराया.

उन्होंने कहा कि एक समय पाकिस्तान को बताया गया था कि तालिबान के मुख्य ठिकाने उत्तरी वजीरिस्तान में हैं. खान ने कहा कि वे हमें कार्रवाई करने के लिए प्रेरित करते रहे. आखिरकार चार या पांच साल बाद हमने कार्रवाई की (लेकिन) दस लाख लोग विस्थापित हो गए...इससे क्या फर्क पड़ा?' उन्होंने कहा कि अमेरिका को मजबूती से तालिबान के साथ बात करनी चाहिए.

(पीटीआई-भाषा)

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