कोलंबो: श्रीलंका में 16 नवंबर को राष्ट्रपति का चुनाव होने वाला है. भारत और चीन इस चुनाव पर अपनी करीबी नजरें बनाए हुए हैं. द. एशिया में अपना दबदबा कायम रखने और भू-रणनीतिक दृष्टिकोण के मद्देनजर भी दोनों देश इस चुनाव को देख रहे हैं. हालांकि, श्रीलंकाई राष्ट्रपति के सलाहकार समन वीरासिंघे इसे ऐसा नहीं मानते हैं. ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने कहा कि श्रीलंका और भारत का संबंध एक हजार साल से भी अधिक पुराना है. हमारा रिश्ता दोस्ती से भी बढ़कर है.
ईटीवी भारत ने समन वीरासिंघे से विशेष बातचीत की. इस दौरान वीरासिंघे ने कहा कि श्रीलंका सबके लिए खुला है. भारत समेत कई देशों ने कोलंबो में कई प्रोजेक्ट को कार्यान्वित किया है. और नई दिल्ली बहुत अच्छा कर रहा है.
उन्होंने कहा कि भारत और श्रीलंका के बीच हजार सालों का संबंध रहा है. जब भी जरूरत पड़ी, दोनों ने एक दूसरे की मदद की है. उन्होंने कहा कि बीजिंग से बढ़ती नजदीकी संबंधों से हमारे रिश्ते प्रभावित नहीं होंगे. मुझे उम्मीद है कि नई दिल्ली आने वाले समय में कोलंबो में और अधिक निवेश करेगा.
जब उनसे पूछा गया कि चीन श्रीलंका को अपने कर्ज के जाल में उलझा सकता है, इस पर वीरासिंघे ने कहा कि श्रीलंका पर बाहरी कर्ज बहुत कम है. यह 10 फीसदी से भी कम है. लिहाजा, यह हमारे लिए कोई चिंता का विषय नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि विकासशील देश होने की वजह से हमारे देश को अधिक से अधिक निवेश चाहिए. दूसरे देशों के अलावा, चीन भी यहां निवेश कर रहा है. चीन सरकार और वहां की कई कंपनियों ने श्रीलंका में निवेश किया है. आगे उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि भारतीय कंपनियां और भारत सरकार दोनों श्रीलंका के लिए और अधिक काम करेंगे.
बढ़ते हुए कर्ज को लेकर जब उनसे पूछा गया कि वे कैसे इससे पार पाएंगे, वीरासिंघे ने कहा कि हमारा फोकस प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ाने और इज ऑफ डूइंग बिजनेस पर है. उनके मुताबिक दूसरे एशियाई देशों की तरह हमे हमारी आर्थिक नीतियों को और अधिक उदारीकरण करने की जरूरत है, ताकि बड़ी संख्या में यहां निवेशक आएं. निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए हमें उन्हें प्रोत्साहन और अनुकूल अवसर देना होगा. भारत और पाकिस्तान समेत दूसरे देशों की भी कंपनियां इसमें शामिल हैं.