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सैन्य मुख्यालय से पीएमओ तक, चीनी राजदूत की है नेपाल में मजबूत पकड़

चीनी राजदूत होऊ यांकी को नेपाल में सबसे पावरफुल विदेशी राजनयिक माना जा रहा है. नेपाल के प्रधानमंत्री के दफ्तर से लेकर आर्मी हेडक्वार्टर तक उनकी सीधी पहुंच है. नेपाल के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ पूर्णचंद्र थापा उनके करीबी माने जाते हैं. 13 मई को चीन के दूतावास में एक डिनर हुआ था. इसमें थापा चीफ गेस्ट थे. पढ़ें विशेष रिपोर्ट...

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Published : Jul 8, 2020, 9:32 PM IST

how Chinese envoy Hou rules the roost in Nepal-
नेपाल में मजबूत पकड़ रखती हैं चीनी राजदूत

काठमांडू : नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार में चीनी राजदूत होऊ यांकी का प्रभाव इससे भी समझा जाता है कि राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी उन्हें भोज पर निमंत्रण देती हैं तो वहीं पर्यटन मंत्री योगेश भट्टराई, होऊ के लिए विशेष आउटडोर फोटो शूट की सुविधा मुहैया करा देते हैं. होऊ अक्सर सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अपनी मॉडल जैसी तस्वीरों को अपलोड करती रहती हैं. वह काफी स्टाइलिश लुक में नजर आती हैं.

अपनी कूटनीति से होऊ यांकी ने उन्होंने ऐसा महौल बना दिया है कि नेपाल पूरी तरह से चीन के चंगुल में फंसता नजर आ रहा है.

नेपाल के नीतिगत मामलों में भी यांकी का बढ़ता प्रभाव दिखाई पड़ने लगा है. नेपाल के पीएम ओली के भारत के प्रति बदले रुख के पीछे भी यांकी को माना जा रहा है. साथ ही भारतीय क्षेत्रों लिपुलेख, कालापानी लिम्पियाधुरा को अपना बनाते हुए नेपाल ने अपने देश का जो नया नक्शा जारी किया है. इसके पीछे भी चीनी राजदूत का दिमाग बताया जा रहा है.

नक्शा विवाद के अलावा, हाल ही में नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के भीतर प्रतिद्वंद्वी गुट की अगुवाई में ओली के खिलाफ भड़की नाराजगी को दूर करने के लिए होऊ यांकी ने सत्तारूढ़ एनसीपी के कुछ शीर्ष नेताओं से संपर्क किया.

माना जाता है कि नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री व एनसीपी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड के होऊ से अच्छे ताल्लुकात हैं.

नेपाल में सबसे प्रभावशाली राजनयिक मानी जाने वालीं होऊ नेपाली सेनाध्यक्ष जनरल पूर्ण थापा की भी करीबी हैं. 13 मई को होऊ ने काठमांडू में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के एक बड़े समारोह की अध्यक्षता की, जिसमें जनरल पूर्ण थापा को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था.

बीजिंग से पीएलए द्वारा मेडिकल सप्लाई से लदा विमान जब नेपाल पहुंचा तो होऊ ने जनरल थापा को मेडिकल सप्लाई सौंपी थी. इसी तरह जब अप्रैल के शुरू में नेपाल को कोविड-19 के शुरुआती संकट का सामना करना पड़ा, तो होऊ ने तुरंत चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और नेपाली राष्ट्रपति भंडारी के बीच एक संक्षिप्त टेलीफोनिक मीटिंग की व्यवस्था की थी. बाद में एक बयान (27 अप्रैल) में चीनी दूतावास ने कहा कि शी ने आश्वासन दिया है कि चीन महामारी के खिलाफ लड़ाई में नेपाली लोगों का पूरा ध्यान रखेगा.

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पिछले हफ्ते जब भारतीय मीडिया के एक वर्ग ने नक्शे के विवाद में चीनी राजदूत की भागीदारी के बारे में लिखा तो होउ ने एक जुलाई को प्रमुख नेपाली समाचारपत्रों द राइजिंग नेपाल और गोरखापत्र को लंबा-चौड़ा साक्षात्कार देकर अपना रुख साफ करने का फैसला किया. गोरखापत्र में उन्होंने कालापानी क्षेत्र के मुद्दे को स्पष्ट करते हुए कहा कि मुझे पता है कि कुछ गैर-जिम्मेदार मीडिया समूह हमेशा जनमत को भड़काने की कोशिश करते रहे हैं. कालापानी का मुद्दा भारत और नेपाल के बीच है. चीनी राजदूत ने संकेत दिया कि विवाद में बीजिंग की कोई भूमिका नहीं है.

युवा चीनी राजनयिक को बड़ी संख्या में नेपाली लोग भी फेसबुक और उनके ट्विटर अकाउंट पर फॉलो करते हैं. हाल ही में जब उन्होंने काठमांडू में एक विशेष फोटो शूट के लिए एक मॉडल के रूप में पोज दिया, तब वह बहुत चर्चा में रहीं. नेपाली राजधानी में लोकप्रिय पर्यटन स्थलों पर ली गई तस्वीरें तुरंत स्थानीय और सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं.

होऊ नेपाल में चीनी सरकार द्वारा किए गए प्रमुख निर्माण कार्यों की निगरानी भी करती हैं. कई स्कूलों, विश्वविद्यालयों और अन्य सार्वजनिक बुनियादी ढांचे का निर्माण चीन द्वारा काठमांडू और अन्य सुदूरवर्ती जिलों में होऊ की देखरेख में किया जा रहा है.

बीजिंग स्थिति विदेश नीति के रणनीतिकारों के सामंजस्य में काम करने वाली होऊ को नेपाल में अब तक के सबसे प्रभावशाली चीनी राजनयिकों में से एक माना जा रहा है. वह पाकिस्तान में भी अपनी सेवाएं दे चुकी हैं.

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