वाशिंगटन : पाकिस्तान को भरोसा था कि चीन कूटनीति के जरिए इस्लामाबाद को आतंकी गतिविधियों के लिए जवाबदेही से बचाने में मदद करेगा. हालांकि, उसे बड़ी नाकामयाबी हाथ लगी. एफएटीएफ की शुक्रवार को हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया कि पाकिस्तान ग्रे सूची में ही रहेगा. चीन और पाकिस्तान को अब दुनिया पहचानने लगी है. यही कारण है कि एफएटीएफ की बैठक से पहले एक अमेरिकी विशेषज्ञ ने दुनिया को पाकिस्तान और चीन के कारनामों और सोच से अवगत कराया. द वाशिंगटन एग्जामिनर में सार्वजनिक नीति शोधकर्ता माइकल रुबिन ने अपने ओपिनियन पीस में कहा है कि बीजिंग आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए कम प्रतिबद्ध है और भारत को परेशान करने के लिए पाकिस्तानी आतंकवाद का इस्तेमाल करने की इच्छा रखता है.
पाकिस्तान को भरोसा, चीन बचा लेगा
माइकल रुबिन ने कहा कि चीन द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद की उदारवादी नीतियों के छोड़कर कई मोर्चों पर दुश्मन देश को घेरने की योजना पर काम कर रहा है. फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) भी इन्हीं में से एक है. पर्याप्त सुधार करने की बजाय पाकिस्तानी अधिकारी इस बात पर भरोसा करते हुए दिख रहे हैं कि चीन कूटनीतिक तरीके से उनके लिए बल्लेबाजी करने आएगा और पाकिस्तान को जवाबदेही से बचा लेगा. रुबिन का यह बयान एफएटीएफ की पूर्ण बैठक के निष्कर्ष के पहले आया था. वैश्विक धन-शोधन और आतंक-वित्तपोषण पर नजर रखने वाली संस्था एफएटीएफ 21 अक्टूबर से अपना पूर्ण सत्र आयोजित कर रही है.
चिंतित नहीं है पाकिस्तान
पाकिस्तान के विशेष वित्त सलाहकार अब्दुल हफीज शेख के साथ चीनी दूत याओ जिंग के बीच बैठक (पिछले महीने) के बारे में बात करते हुए रूबिन ने कहा कि दोनों प्रतिनिधियों ने कथित तौर पर एफएटीएफ प्रतिबद्धताओं के बारे में कम बात की और 60 बिलियन डॉलर निवेश वाले चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपैक) पर ज्यादा बात की. सीपैक की सफलता पाकिस्तान की आर्थिक क्षमता और इसके एफएटीएफ से बचने पर निर्भर करती है. इससे साबित होता है कि पाकिस्तान एफएटीएफ को लेकर चिंतित नहीं है.
पाकिस्तान के बचाव में तुर्की खुलकर उतरा
शुक्रवार देर शाम पाकिस्तान को ग्रे सूची में ही रखे जाने पर फिर से मुहर लग गई. एफएटीफ ने बयान जारी कर बताया कि पाकिस्तानी सरकार आतंकवाद के खिलाफ 27 सूत्रीय एजेंडे को पूरा करने में विफल रही है. एफएटीफ ने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधित आतंकवादियों के खिलाफ भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है. एफएटीएफ में पाकिस्तान के बचाव में तुर्की खुलकर उतर गया. उसने सदस्य देशों से कहा कि हमें पाकिस्तान के अच्छे काम पर विचार करना चाहिए और 27 में 6 मानदंडों को पूरा करने के लिए थोड़ा और इंतजार करना चाहिए. एफएटीएफ के बाकी देशों ने तुर्की के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया. कुछ दिन पहले ही पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने तुर्की, मलेशिया और सऊदी अरब से एफएटीएफ में राहत दिलाने के लिए सहायता मांगी थी.
अब अगले साल फरवरी में होगी बैठक