दिल्ली

delhi

ETV Bharat / international

अफगानिस्तान में प्रमुख पदों पर हक्कानी नेटवर्क के आतंकियों को लाना, यूएन का मजाक उड़ाना

नवगठित तालिबान सरकार में कम से कम छह मंत्री हैं जो अफगानिस्तान में सबसे खतरनाक संयुक्त राष्ट्र नामित आतंकवादी संगठन से सीधे जुड़े हुए हैं. देश के आंतरिक मंत्री के रूप में, एचक्यूएन प्रमुख सिराजुद्दीन हक्कानी अफगानिस्तान की खुफिया एजेंसी चलाएगा.

सिराजुद्दीन हक्कानी
सिराजुद्दीन हक्कानी

By

Published : Sep 10, 2021, 7:06 AM IST

नई दिल्ली : तालिबान का उपनेता सिराजुद्दीन हक्कानी अब अफगानिस्तान का गृहमंत्री है. वह हक्कानी नेटवर्क (एचक्यूएन) चलाता है, जो एक वैश्विक नामित आतंकवादी संगठन है. उसके सिर पर अभी भी 1 करोड़ डॉलर का इनाम है. पाकिस्तान की कुख्यात जासूसी एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के प्रमुख फैज हमीद के हस्तक्षेप के लिए तालिबान कैबिनेट ने धन्यवाद ज्ञापित किया है.

नवगठित तालिबान सरकार में कम से कम छह मंत्री हैं जो अफगानिस्तान में सबसे खतरनाक संयुक्त राष्ट्र नामित आतंकवादी संगठन से सीधे जुड़े हुए हैं. देश के आंतरिक मंत्री के रूप में, एचक्यूएन प्रमुख सिराजुद्दीन हक्कानी अफगानिस्तान की खुफिया एजेंसी चलाएगा.

वह 34 प्रांतों के सभी राज्यपालों और पुलिस प्रमुखों की नियुक्ति करेगा. उसके चाचा, खलील-उर-हक्कानी, एक क्रूर आतंकवादी है, जो काबुल का सुरक्षा प्रमुख और शरणार्थी मंत्री है. दो अन्य रिश्तेदार, अब्दुल बाकी हक्कानी और नजीबुल्लाह हक्कानी क्रमश: उच्च शिक्षा मंत्री और संचार मंत्री हैं. सिराजुद्दीन के करीबी विश्वासपात्र और संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादी अब्दुल हक वसीक को देश के खुफिया प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया है. एक और भरोसेमंद लेफ्टिनेंट और आत्मघाती बम विस्फोट के विशेषज्ञ मुल्ला ताज मीर जवाद को गृहमंत्री का पहला डिप्टी नियुक्त किया गया है. वसीक और जवाद दोनों आईएसआई के 'पसंदीदा' हैं और माना जाता है कि वे आईएसआई के इशारे पर अफगानिस्तान में भारतीय मिशनों पर हमलों में शामिल थे.

मौलवी अब्दुल सलाम हनफी, जो उज्बेक समुदाय से है, उसे प्रधानमंत्री मुल्ला मुहम्मद हसन अखुंद का नया दूसरा डिप्टी बनाया गया है. वह पाकिस्तान के हक्कानिया मदरसा से स्नातक है. इस मदरसे को जिहाद यूनिवर्सिटी के रूप में जाना जाता है. दारुल उलूम हक्कानिया मदरसा, जो पाकिस्तान में अकोरा खट्टक में स्थित है, हक्कानी नेटवर्क का नाम उसी मदरसे के नाम पर रखा गया है. यहीं इसके नेताओं ने पढ़ाया था और बाद के नेताओं ने अध्ययन किया था. हक्कानिया मदरसा सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावशाली कट्टरपंथी सुन्नी नेटवर्क है और यह एक 'आतंकवादी कारखाने' के रूप में काम करता है, जहां छात्रों को युद्ध प्रशिक्षण, बम बनाने और गुरिल्ला युद्ध करना सिखाया जाता है.

हक्कानी नेटवर्क एक विशाल और लंबे समय तक चलने वाला आपराधिक नेटवर्क है. इन नेताओं ने बयात की कसम खाई, तालिबान के प्रति निष्ठा की प्रतिज्ञा की और तालिबान के तहत लड़े और वास्तव में देश पर कब्जा करने में तालिबान की रणनीति को परवान चढ़ाया. एफबीआई के रिवार्डस फॉर जस्टिस प्रोग्राम के अनुसार, युनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट सिराजुद्दीन हक्कानी की गिरफ्तारी के लिए सीधे सूचना देने के वाले को 1 करोड़ डॉलर तक का इनाम दे रहा है.

अमेरिका का कहना है कि 'हक्कानी को पाकिस्तान में रहने वाला माना जाता है, विशेष रूप से पाकिस्तान के मिराम शाह, उत्तरी वजीरिस्तान क्षेत्र में. वह हक्कानी नेटवर्क का प्रमुख है और तालिबान व अल कायदा के साथ घनिष्ठ संबंध रखता है. हक्कानी विशेष रूप से वैश्विक आतंकवादी घोषित है. सिराजुद्दीन हक्कानी का पिता और नेटवर्क का संस्थापक जलालुद्दीन हक्कानी पहले पाकिस्तानी जिहादी था, जिसने 1973 में पहली बार अफगान राज्य में हथियार ले गया और वहां से संबंध जारी रखा. हक्कानी नेटवर्क, जिसे पाकिस्तानी सुरक्षा प्रतिष्ठान के तत्वों का समर्थन प्राप्त है, अब अफगानिस्तान के सबसे अनुभवी और परिष्कृत विद्रोही संगठनों में से एक है.

एचक्यूएन अभी भी पाकिस्तान के उत्तरी वजीरिस्तान में अफगानिस्तान की दक्षिण-पूर्वी सीमा के पार एक सुरक्षित पनाहगाह रखता है. अल-कायदा के वरिष्ठ नेतृत्व की मौजूदगी के बावजूद पाकिस्तानी सेना ने उत्तरी वजीरिस्तान में सैन्य अभियान शुरू करने से लगातार इनकार किया है. पाकिस्तानी सेना और आईएसआई अफगानिस्तान में अपने हितों का प्रतिनिधित्व करने के लिए एचक्यूएन को एक उपयोगी सहयोगी और प्रॉक्सी बल के रूप में देखते हैं.

इसके लिए हक्कानी बलों ने अफगानिस्तान में भारतीय बुनियादी ढांचे और निर्माण परियोजनाओं को बार-बार निशाना बनाया है. पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, आईएसआई प्रमुख फैज हमीद व्यक्तिगत रूप से काबुल में तालिबान की सरकार के गठन को संभाल रहे थे और उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि एक संरक्षक के रूप में हक्कानी को सरकार में एक मजबूत और रणनीतिक स्थान मिले.

(यह सामग्री इंडिया नैरेटिव के साथ एक व्यवस्था के तहत प्रस्तुत है)

पीटीआई-भाषा

ABOUT THE AUTHOR

...view details