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तालिबान के खिलाफ प्रतिबंधों में ढील शांति प्रक्रिया में बन सकती है बाधक

संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि आदिला राज ने कहा है कि तालिबान द्वारा हिंसा की घटनाएं बढ़ गई हैं और ऐसी स्थिति में तालिबान की प्रतिबद्धताओं में बिना कोई वास्तविक प्रगति देखे उसके खिलाफ पाबंदियों में किसी भी तरह की ढील ठीक नहीं होगी.

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Published : Dec 18, 2020, 7:39 PM IST

न्यूयॉर्क : अफगानिस्तान ने कहा है कि तालिबान द्वारा हिंसा की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं और उसने वैश्विक आतंकवादी संगठनों से अपना रिश्ता भी बरकरार रखा है. इसलिए शांति की दिशा में तालिबान की प्रतिबद्धताओं में बिना कोई वास्तविक प्रगति देखे उस पर लगी पाबंदियों में किसी भी तरह की ढील देना शांति वार्ताओं पर प्रतिकूल असर डाल सकता है.

संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि आदिला राज ने कहा कि तालिबान की गतिविधियों का पता लगाने विशेषकर शांति के लिए उसकी प्रतिबद्धताओं तथा अल-कायदा एवं सभी आतंकवादी संगठनों से संबंध खत्म करने के उसके संकल्प पर नजर रखने के लिए बनी 1988 अफगानिस्तान प्रतिबंध समिति की सहायता कर रहे निगरानी दल का काम उल्लेखनीय है.

राज संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बृहस्पतिवार को अफगानिस्तान में हालात के विषय पर बोल रही थीं.

उन्होंने कहा, 'हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि ये प्रतिबद्धताएं तालिबान के कार्यों में भी झलकनी चाहिए. यह भी दिखना चाहिए कि तालिबान किसी तरह की आतंकवादी गतिविधि में शामिल नहीं है और वह किसी भी अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन के साथ न तो काम कर रहा है और न ही उसका सहयोग कर रहा है.'

राज ने कहा, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि ऐसा नहीं हो रहा है. अफगान सुरक्षा बलों एवं खुफिया एजेंसियों तथा निगरानी दल को तालिबान के बारे में ऐसा कुछ नजर नहीं आ रहा है.

उन्होंने कहा कि तालिबान द्वारा हिंसा की घटनाएं बढ़ गई हैं और उसने अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठनों के साथ अपना रिश्ता भी बरकरार रखा है. ऐसी स्थिति में तालिबान की प्रतिबद्धताओं में बिना कोई वास्तविक प्रगति देखे उसके खिलाफ पाबंदियों में किसी भी तरह की ढील ठीक नहीं होगी.

सुरक्षा परिषद ने 1988 अफगानिस्तान प्रतिबंध समिति की सहायता कर रहे निगरानी दल का शासनादेश एक साल के लिए और बढ़ा दिया है.

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पिछले सप्ताह 'अफगानिस्तान में हालात' प्रस्ताव को 193 सदस्यीय महासभा में स्वीकृत कर लिया गया. प्रस्ताव के पक्ष में 130 वोट पड़े जबिक रूस ने इसके खिलाफ वोट किया. वहीं, चीन, बेलारूस और पाकिस्तान अनुपस्थित थे.

प्रस्ताव के अनुसार महासभा ने अफगानिस्तान को आत्मनिर्भर बनने, वहां स्थिरता एवं शांति बहाली के प्रयासों में अपना समर्थन जारी रखने का संकल्प जताया है.

(इनपुट- पीटीआई)

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