कैनबरा (ऑस्ट्रेलिया): कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 के कारण फैली कोविड-19 वैश्विक महामारी ने दुनिया भर मे अब तक 38 लाख से अधिक लोगों की जान ले ली है और अरबों डॉलर का आर्थिक नुकसान किया है. कोरोना वायरस परिवार में संबंधित मार्स और सार्स वायरस भी शामिल हैं, जिनके कारण पिछले 20 साल में कई घातक संक्रमण हुए हैं.
हमारे परिणाम दिखाते हैं कि ऐतिहासिक वायरल प्रकोपों के आनुवंशिक अवशेषों का पता लगाने से हमें भविष्य के प्रकोपों का इलाज करने में कैसे मदद मिल सकती है. वैश्विक महामारियां संभवत: मानव इतिहास जितनी ही पुरानी हैं. हमने पहले भी वैश्विक महामारियों का सामना किया है. केवल 20वीं शताब्दी में इन्फ्लूएंजा वायरस के तीन प्रकारों 1918-20 का स्पैनिश फ्लू, 1957-58 का एशियन फ्लू और 1968-69 का हांगकांग फ्लू में से हरेक ने व्यापक तबाही मचाते हुए लाखों लोगों की जान ली थी. वायरस और अन्य रोगजनकों के कारण होने वाले संक्रमण का इतिहास हजारों साल पुराना है. इन वायरस के अनुकूल शरीर के ढलने के बाद कई आनुवांशिक निशान पीछे रह जाते हैं.
बीमारी का अनुकूलन आनुवांशिक निशान छोड़ सकता है
आनुवंशिकीविदों ने पिछले कुछ दशकों में शरीर के अनुकूलन संबंधी घटनाओं के आनुवंशिक निशानों का पता लगाने के लिए प्रभावशाली सांख्यिकीय उपकरण तैयार किए हैं. ये आनुवांशिक अवशेष आज लोगों के जीनोम में मौजूद हैं. वायरस सरल जीव हैं, जिनका एक उद्देश्य है. स्वयं की अधिक प्रतियां बनाना. लेकिन उनकी सरल जैविक संरचना का अर्थ है कि वे स्वतंत्र रूप से प्रजनन नहीं कर सकते. इसके बजाय, उन्हें अन्य जीवों की कोशिकाओं पर आक्रमण करना होता है और उनकी आणविक मशीनरी पर कब्जा करना होता है. वायरस मेजबान कोशिका से पैदा हुए विशिष्ट प्रोटीन के साथ संपर्क करता है और उससे जुड़ता है, जिसे हम वायरल इंटरेक्टिंग प्रोटीन (वीआईपी) कहते हैं.