वाशिंगटन : अमेरिका में कोरोना वायरस का कहर जारी है. इसी बीच अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने ब्लड प्यूरिफिकेशन सिस्टम को आपातकालीन मंजूरी दी है, लेकिन एफडीए के बयान में कहा गया है कि इस पद्धति का इस्तेमाल सिर्फ कोरोना वायरस के गंभीर रोगियों के इलाज के लिए किया जाए.
इस पद्धति का इस्तेमाल उन्हीं रोगियों पर किया जाएगा जो 18 साल के उपर हैं, कोरोना वायरस से संक्रमित हैं, आईसीयू में भर्ती हैं और जिनके फेफड़ों के फेल होने का खतरा है.
यह पद्धति साइटोकिन्स और सूजन को प्रभावित करने वाले तत्वों को कम करती है. साइटोकाइन एक तरह का प्रोटीन होता है, जो कोशिका की रोग प्रतिरोधक क्षमता को नियंत्रित करता है.
कोरोना वायरस से संक्रमित कुछ मरीजों में साइटोकाइन की मात्रा बढ़ जाती है. इसे साइटोकाइन स्टार्म के नाम से भी जाना जाता है. इसका दुष्प्रभाव यह होता है कि शरीर में अत्यधिक सूजन हो जाती है, जिससे व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है.
एफडीए कमिश्नर स्टीफन एम हैन ने एक बयान में कहा, 'इस पद्धति का उपयोग आईसीयू में भर्ती कोरोना के रोगियों में संक्रमण कम करने के लिए किया जा रहा है.