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लोकसभा में फिर पांच फीसदी कम रहेगा मुस्लिम प्रतिनिधित्व

2014 की तुलना में इस बार लोकसभा जाने वाले मुसलमान सांसदों की संख्या बढ़ गई है. इस बार के चुनाव में 25 मुस्लिम सांसद चुने गए हैं, जबकि 2014 के चुनाव में कुल 23 मुस्लिम सांसद निर्वाचित हुए थे.

प्रतीकात्मक तस्वीर.

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Published : May 25, 2019, 8:48 AM IST

नई दिल्ली: पिछली बार की तरह 17वीं लोकसभा में भी मुस्लिम प्रतिनिधित्व पांच फीसदी से कम रहेगा, क्योंकि इस बार मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखने वाले नवनिर्वाचित सांसदों की संख्या 25 है जो पिछली बार की तुलना में मामूली बढ़ोतरी है.

आपको बता दें कि इस बार के चुनाव में 25 मुस्लिम सांसद चुने गए हैं, जबकि 2014 के चुनाव में 23 मुस्लिम सांसद निर्वाचित हुए थे. इसका मतलब यह है कि इस बार भी मुस्लिम प्रतिनिधित्व पांच फीसदी है. देश में मुस्लिम आबादी करीब 14 फीसदी है.इस लोकसभा चुनाव में सबसे अधिक छह मुस्लिम सांसद उत्तर प्रदेश से चुने गए हैं, हालांकि इससे पहले के चुनाव में एक भी मुस्लिम सांसद निर्वाचित नहीं हो पाया था.

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उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा का गठबंधन भले ही सफ़ल ना रहा हो लेकिन इससे 6 मुस्लिम उम्मीदवार जीतने में सफल रहे हैं. सपा के आजम खान रामपुर से, बसपा के कुंवर दानिश अली अमरोहा से, बसपा से ही अफ़जाल अंसारी गाजीपुर से, सपा के डॉ एसटी हसन मुरादाबाद से, बसपा के हाजी फजलुर्रहमान सहारनपुर से और बसपा के डॉ शफ़ीकुर्रहमान बर्क संभल से जीते हैं.इसके साथ ही पश्चिम बंगाल से चार, जम्मू-कश्मीर से तीन, केरल से तीन, बिहार से दो, असम से दो, तेलंगाना, महाराष्ट्र, पंजाब, लक्षद्वीप और तमिलनाडु से एक-एक मुस्लिम सांसद चुने गए हैं.

आजाद भारत के संसदीय इतिहास को देखे तो साल 1952 में 11 मुस्लिम सांसद लोकसभा पहुंचे थे. वहीं, साल 1957 में 19, साल 1962 के चुनाव में 20, साल 1967 में 25 मुस्लिम सांसद चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे. साल 1971 में 28, साल 1980 में 49 और 1984 में 42 मुस्लिम सांसद चुने गए थे. साल 2004 में 34, साल 2009 में 30 और 2014 में 23 मुस्लिम सांसद चुनाव जीत कर संसद पहुंचे थे.

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