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आर्म्स एक्ट संशोधन के विरोध में क्यों उतर रहा है राजस्थान का राजपूत समाज?

आर्म्स एक्ट 2019 संशोधन के खिलाफ राजपूत समाज ने लामबंद होने की तैयारी कर ली है. लेकिन उससे पहले प्रदेश सरकार तक विधायकों और केन्द्र सरकार तक सांसदों के जरिए अपनी बात पहुंचाने की बात की है. आर्म्स एक्ट के खिलाफ राजपूत समाज सड़कों पर क्यों उतर रहा है, इसके पीछे कारणों को को लेकर राजपूत सभा के अध्यक्ष गिरिराज सिंह लोटवाड़ा ने ईटीवी भारत से बातचीत की.

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Published : Dec 2, 2019, 6:24 PM IST

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राजपूत समाज ने दिया सरकार को 15 दिन का अल्टिमेटम, आंदोलन की चेतावनी

जयपुर. देश में आर्म्स अधिनियम अमेंडमेंट 2019 लोकसभा में आ चुका है लेकिन अब राजस्थान के राजपूत समाज ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है. राजपूत सभा के अध्यक्ष गिरिराज सिंह लोटवाड़ा ने इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है.

लोटवाड़ा ने कहा कि देश जब आजाद हुआ तो राजशाही से लोकशाही में आए राजा महाराजाओं और ठिकानेदारों के पास अपने हथियार हुआ करते थे. उस समय सरकार ने हथियार थानों में जमा कराने के निर्देश दिए थे. उसके बाद 1959 में जब आर्म्स एक्ट आया तो उसमें एक लाइसेंस पर तीन हथियार रखने की परमिशन मिली थी. यह हथियार हमारे पुरखों के हैं जिनसे हमारा इमोशनल अटैचमेंट होने के साथ-साथ इनकी एंटीक वैल्यू भी है.

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सरकार को अगर क्राइम रोकना है तो सोचना चाहिए कि क्या कभी लाइसेंस हथियारों से कोई अपराध घटित हुआ है. अगर आंकड़ों की बात करें तो एक प्रतिशत के सौंवे हिस्से के अपराध लाइसेंसी हथियारों से हुए होंगे. उन्होंने कहा लाइसेंसी हथियार धारक की हर स्तर पर जांच होती है. उनके चरित्र का तीन-तीन जगहों पर सत्यपान होने के बाद हथियार रखने की अनुमति दी जाती है.

लोटवाड़ा ने कहा कि आज के नेताओं में उनकी इमोशनल वेल्यू समझने की समझ ही नहीं है. वर्तमान सरकार बिना सोचे समझे कुछ भी कर सकती है. उन्होंने कहा कि वे सरकार के इस संशोधन बिल की निंदा करते हैं और केंद्र सरकार से ये मांग करते हैं कि इसे ड्रॉप किया जाए. उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में अगर कोई लाइसेंस बनाता है तो उसके लिए एक लाइसेंस एक हथियार का नियम बना दें, लेकिन पुराने हथियारों के लिए ऐसा नहीं होना चाहिए.

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लोटवाड़ा ने कहा कि हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को इस बारे में पत्र लिखा है और वे व्यक्तिगत रूप से भी उनसे मिलने का प्रयास करेंगे. फिलहाल राजपूत समाज की ओर से सरकार को 15 दिन का समय दिया गया है. जब तक सरकार इसका कोई रास्ता निकाल ले इन 15 दिन में राजपूत समाज के प्रतिनिधि लोकसभा और विधानसभा के प्रतिनिधियों से मिलेंगे और उनसे यह अमेंडमेंट वापस लेने के लिए केंद्र सरकार से बातचीत की बात करेंगे. इसके बाद भी अगर सरकार नहीं मानती है तो आंदोलन का रास्ता अपनाया जाएगा.

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