नई दिल्ली/नूंह: बेमौसम बरसात ने नूंह जिले के नगीना, पुन्हाना, पिनगवां खंड के हजारों किसानों के लिए बड़ी राहत लेकर आई है. सिंचाई के संसाधनों के सामने मजबूर किसान के खेतों में बारिश की बूंदे आसमन से अमृत की तरह बरसी हैं. इतना ही नहीं हवा में उड़ रही धूल-मिटटी से भी राहत मिली है.
सबसे बड़ी बात यह रही कि पेड़ों पर चढ़ी धूल-मिट्टी नीचे गिर गई. बरसात ज्यादा तो नहीं हुई, लेकिन सूबे में सरसों उत्पादन में दूसरा स्थान रखने वाले नूंह जिले के किसानों को ये बारिश लाखों का फायदा पहुंचा गई.
नूंह पर बरसात ने किया बड़ा एहसान सरसों की फसल को फायदा
इस बरसात से ठंड-धुंध और ओस बढ़ना लाजमी है. सरसों की फसल को सिंचाई की अन्य फसलों के मुकाबले कम जरूरत पड़ती है इसलिए कम बरसात ही सही, लेकिन किसानों की बल्ले-बल्ले करने के लिए काफी है. गेंहू की फसल के अलावा मूंग, चना जैसी फसलों को भी बरसात का लाभ होगा.
स्मॉग से भी मिली राहत!
एनसीआर क्षेत्र बढ़ते प्रदूषण चलते स्मॉग की चादर में लिपटा हुआ था. सुप्रीम कोर्ट ने भी कई बार स्मॉग से निपटने में असफल हो रही सरकारों को कड़ी फटकार लगाई. जिस काम को केंद्र-राज्यों की सरकार नहीं कर सकी. उसे कुदरत ने बरसात कर चंद मिनटों में आसान कर दिया.
बरसात ने किया बड़ा एहसान!
अब हवा में उड़ रही धूल-मिटटी नीचे आई तो मौसम में सांस लेना आसान हो गया. कुल मिलाकर बेमौसम बरसात ने भले ही कुछ लोगों की परेशानी बढ़ाई हो, लेकिन करोड़ों लोगों स्वास्थ्य को बेहतर बनाने तथा फसलों के अच्छे उत्पादन में बरसात के योगदान को किसान भूला नहीं पायेगा. नूंह जिले के कुछ खंडों में बरसात हुई, लेकिन नूंह खंड और तावडू खंड में एक बूंद भी नहीं गिरी. कुदरत की यही अनमोल लीला है, जिसका कोई तोड़ नहीं है.