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गाजियाबाद: श्मशान घाट में अंतिम संस्कार के लिए शुरू हुआ टोकन सिस्टम

कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए गाजियाबाद में श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार के लिए भी अब टोकन प्रणाली शुरू कर दी गई है. जिसको लेकर पुरोहित का कहना है कि अंतिम संस्कार के लिए अगर एक बार में 4 से 5 शव आ जाते हैं, तो सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर चिंता बढ़ जाती है. जिसकी वजह से टोकन प्रणाली शुरू की गई है.

token system also started for cremation at graveyard in ghaziabad
टोकन प्रणाली

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Published : Apr 11, 2021, 9:59 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद में बढ़ती कोरोना की रफ्तार को देखते हुए श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार के लिए भी अब टोकन प्रणाली को शुरू कर दिया गया है. गाजियाबाद में हिंडन मोक्ष स्थली के पुरोहित मनीष पंडित जी का कहना है कि अंतिम संस्कार के लिए अगर एक बार में 4 से 5 शव आ जाते हैं, तो सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर चिंता बढ़ जाती है. ऐसे में यहां पर छोटी पर्ची के रूप में टोकन प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. अंतिम संस्कार के लिए शव के साथ चुनिंदा लोगों को ही मोक्ष स्थली में प्रवेश करने दिया जाता है. जिससे भीड़ न लगे और सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहे.

अंतिम संस्कार के लिए शुरू हुई टोकन प्रणाली



छोटी पर्ची के रूप में टोकन

संबंधित लोगों को पर्ची के रूप में टोकन दे दिया जाता है और अंतिम संस्कार के बाद छोटी पर्ची लेकर बड़ी पर्ची दे दी जाती है, जिससे डेथ सर्टिफिकेट बन सके. क्षमता से अधिक लोगों का प्रवेश मोक्ष स्थली पर नहीं होने दिया जाए रहा है. इसलिए ये टोकन सिस्टम काफी कारगर साबित हो रहा है. जैसे ही एक बार मोक्ष स्थली पर अंतिम संस्कार के लिए आए लोग बाहर जाते हैं, तभी उसके बाद अंतिम संस्कार के लिए कतार में आए लोगों को टोकन के साथ प्रवेश दिया जाता है. व्यवस्था बनाने में लोग भी पूरी मदद कर रहे हैं.

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कोरोना बीमारी से हुई मौत से संबंधित शव के लिए अलग व्यवस्था

सामान्य मौत के अलावा कोरोना से हुई मौत के बाद आए शवों के लिए अलग व्यवस्था की गई है. इसके लिए विद्युत शवदाह गृह बना दिया गया था.जिसमें प्रॉपर बिजली की व्यवस्था भी 24 घंटे उपलब्ध रहती है. मोक्ष स्थली में अलग हिस्से में विद्युत शवदाह गृह बनाया गया था.उससे संबंधित भी हर सावधानी रखी जाती है. अगर कभी शवों की संख्या बढ़ी, तो यहां के लिए भी टोकन की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी.

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फिलहाल गाजियाबाद में कोरोना से मौत का आंकड़ा ना के बराबर है. स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग भी इस तरह की मौत को लेकर अधिक सतर्कता बरतते हैं. शव को पीपीई किट में ही अंतिम संस्कार स्थल पर पहुंचाया जाता है और विशेष सावधानियां रखी जाती हैं.

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