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Published : Mar 21, 2021, 2:03 PM IST

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गाजियाबाद: बेटी पैदा हुई तो अस्पताल में छोड़ दिया

गाजियाबाद की इस 5 दिन की मासूम बच्ची को अपनी मां की गोद नसीब नहीं हो रही है. अपने जन्म के साथ ही मासूम को बेटी होने का दंश झेलना पड़ रहा है. माता-पिता की आर्थिक तंगी कहें या बेटा-बेटी में किया जाने वाला भेदभाव. इस मासूम बच्ची को उन्होंने अपनाने से इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा है कि अगर कोई व्यक्ति बच्ची को गोद लेना चाहता है, तो वह उनसे संपर्क कर सकता है.

The family is not adopting a 5-day-old innocent girl from Ghaziabad
मासूम बच्ची

नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद में 5 दिन की मासूम बच्ची को उसका परिवार इसलिए नहीं अपनाना चाहता, क्योंकि वो बेटी है. मामला गाजियाबाद के विजयनगर इलाके का है. 5 दिन पहले बुलंदशहर के रहने वाले दंपत्ति जब विजय नगर इलाके से निकल रहे थे, उसी दौरान पत्नी को प्रसव पीड़ा हुई. जिसके बाद महिला ने रोड के पास ही सार्वजनिक शौचालय में जुड़वां बच्चों को जन्म दिया था.

माता-पिता ने मासूम बच्ची को अपनाने से इनकार किया.

प्रेगनेंसी के अल्पकाल में पैदा हुई दोनों मासूम बच्चियों में से एक बच्ची ने अस्पताल जाने के एक दिन बाद ही दम तोड़ दिया था. लेकिन दूसरी मासूम बच्ची अभी भी अस्पताल में एडमिट है.



पहले से चार बेटियों के पिता माता हैं दंपत्ति

अस्पताल के डॉक्टर का कहना है कि बच्ची के माता-पिता उसे अस्पताल से लेने नहीं आ रहे हैं. क्योंकि उनके घर में पहले से ही 4 बेटियां और एक बेटा है. ऐसे में दंपत्ति ने ये बताया है कि वो बेटी को नहीं अपना सकते हैं. डॉक्टर से हुई फोन पर बातचीत के बाद बच्ची के पिता ने बताया कि वह बच्ची के पालन-पोषण के लिए असमर्थ हैं. उन्होंने यह कहा है कि अगर कोई व्यक्ति बच्ची को गोद लेना चाहता है तो वह उनसे संपर्क कर सकता है.

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डॉक्टर और प्रशासन समझाने में लगे


डॉक्टर और जिला प्रशासन की तरफ को दंपत्ति को फोन करके समझाने की कोशिश भी की गई है. जिला प्रशासन और अस्पताल बच्ची की पूरी तरह से देखरेख कर रहा है.


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मम्मी-पापा मेरा क्या कसूर

देश में ऐसे भी कई लोग होते हैं, जिनके घर किलकारियां नहीं गूंजती, क्योंकि उनके घर कोई मासूम पैदा नहीं होता. वह जगह-जगह मन्नत मांगते हैं. लेकिन कुछ ऐसे मासूम होते हैं जिनके साथ विडंबना यह होती है, कि पैदा होते ही उनके माता-पिता उनको छोड़ देते हैं. ऐसी ही यह मासूम अब अस्पताल में प्रशासन और डॉक्टरों के भरोसे एडमिट है. शायद ऐसा लगता है मानो वह पूछ रही हो कि मम्मी पापा मेरा क्या कसूर था.

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