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लॉकडाउन: जहां कभी बजती थी शहनाई, वहां अब सुनाई देता है मजदूरों का दर्द

लॉकडाउन के कारण प्रवासी मजदूरों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. कुछ भी साधन ना होने के कारण मजदूरों अपने घरों के लिए पैदल ही निकलना पड़ा लेकिन दिल्ली यूपी बॉर्डर के आसपास कई मैरिज होम्स हैं जिन्हें मजदूरों के लिए शेल्टर होम में तब्दील कर दिया गया है.

migrant Laborers
प्रवासी मजदूर

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Published : May 20, 2020, 7:50 PM IST

नई दिल्ली/गाजियबाद: लॉकडाउन के कुछ ऐसे पहलू हैं, जो एक बड़े बदलाव को दर्शाते हैं उन्हीं में से एक उदाहरण है गाजियाबाद के मैरिज होम्स. इन मैरिज होम्स में कभी शहनाई बजती थी, लेकिन आज यहां प्रवासी मजदूरों का दर्द सुनाई दे रहा है.

मैरिज होम्स को शेल्टर होम में तब्दील किया गया



शेल्टर होम बनाए गए मैरिज होम

गाजियाबाद के कई मैरिज होम और फार्म हाउस को फिलहाल शेल्टर होम में तब्दील किया गया है. यहां पर भारी संख्या में लाए जा रहे मजदूरों से बात करने पर पता चलता है कि वह कितने मजबूर हैं. घर जाने के लिए पैदल पलायन किया था, लेकिन वहां पहुंचने से पहले कई कई दिनों तक ऐसे मैरिज होम में ठहरना पड़ रहा है. प्रशासन लगातार ट्रेनों के माध्यम मजदूरों को उनके घर पहुंचाने की कोशिश में जुटा है लेकिन हर मजदूर चाहता है कि वो जल्द से जल्द अपने घर पहुंचे जाए.


रोड पर नहीं घूमे कोई प्रवासी मजदूर

दरअसल नेशनल हाईवे के आसपास और दिल्ली यूपी बॉर्डर के आसपास कई मैरिज होम्स हैं. हाल ही में निर्णय लिया गया था कि कोई भी प्रवासी मजदूर रोड पर घूमता हुआ ना देखा जाए नहीं तो कार्रवाई की जाएगी. इसलिए मैरिज होम्स में प्रवासियों को रखना एक बेहतर विकल्प प्रशासन को लगा.

मैरिज होम के अलावा मॉल्स और कुछ शिक्षण संस्थानों में भी कॉरेंटींन सेंटर और शेल्टर होम बनाए गए हैं. देखना यह होगा कि कब तक इन मैरिज होम और मॉल्स में मजदूरों का दर्द सुनाई देता है और कब तक सरकार उन्हें उनके घरों तक पहुंचा पाती है.

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