नई दिल्ली/गाजियाबाद: जिले के मेरठ रोड स्थित भट्टा नंबर पांच के आसपास कई मूर्तिकार रहते हैं, जो लंबे समय से मूर्ति बनाने का काम करते आ रहे हैं. मूर्तिकार रोशन तकरीबन तीन दशकों से गणपति बप्पा (Lord Ganesha) की मूर्तियां बनाने का काम कर रहे हैं. राजस्थान से आकर गाजियाबाद में मूर्ति बनाने का काम कर रहे रोशन बताते हैं कि गणेश चतुर्थी के त्योहार से तकरीबन तीन महीने पहले तैयारियां शुरू कर देते हैं. शुरुआती दौर में मूर्तियां बनाई जाती हैं और गणेश चतुर्थी में जब एक सप्ताह रह जाता है, तब इन मूर्तियों को सजाने-संवारने का काम किया जाता है. जहां एक तरफ रौशन मिट्टी को मूर्ति का आकार देते हैं, तो वहीं दूसरी तरफ उनके परिवार वाले लगन के साथ मूर्तियों पर रंगों और सजावट की बौछार करते हैं.
रोशन बताते हैं कि कोरोना वायरस के चलते बीते दो साल काम काफी सुस्त रहा. दो-ढाई लाख का नुकसान भी उठाना पड़ा, लेकिन इस साल हालात काफी बेहतर नजर आ रहे हैं. पहले से ही मूर्तियों के ऑर्डर मिल चुके हैं. विभिन्न प्रकार की मूर्तियां तैयार की जा रही है. सबसे अधिक मांग इस साल नंदी पर बैठे गणेश जी की मूर्ति और इको फ्रेंडली मूर्ति (Lord Ganesh Eco Friendly Idol) की है, जिसे दूर-दूर से लोग खरीदने आ रहे हैं. इस साल बड़ी मूर्तियों की भी बाजार में डिमांड देखने को मिल रही है. 11, 12 और 14 फुट की भगवान गणेश की मूर्तियां तैयार की गई हैं, जिनकी कीमत 25, 35 और 45 हजार रुपए है.