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डासना देवी मंदिर : कभी मां कुंती के साथ रहे थे पांडव, जानें मंदिर का इतिहास

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Published : Aug 11, 2021, 11:06 PM IST

Updated : Aug 12, 2021, 10:37 PM IST

डासना स्थित प्राचीन देवी मंदिर देश के प्राचीन मंदिरों में से एक है. ऐसी मान्यता है पहले वनवास के बाद पांडव मां कुंती के साथ देवी मंदिर में रहे थे.

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जानें डासना देवी मंदिर का इतिहास

नई दिल्ली/गाजियाबाद : भारत आस्था का देश है. भारत के किसी भी कोने में आपको ऐसे-ऐसे मंदिर मिल जाएंगे जो कई सौ साल पुराने हैं. जिनकी अलग-अलग महत्व और मान्यता भी है. गाजियाबाद के डासना में एक ऐसा प्राचीन मंदिर है. जिसकी विशेष मान्यता है. कहा जाता है कि इस मंदिर में जो भी मनोकामना मांगी जाती है वह अवश्य पूरी होती है.

गाजियाबाद के डासना स्थित प्राचीन देवी मंदिर के महंत नरसिंहानंद सरस्वती ने बताया देवी मंदिर देश के प्राचीन तीर्थ स्थलों में से एक है. भारत में महाकाली की सबसे प्राचीन प्रतिमा देवी मंदिर में मौजूद है. ऐसा जन विश्वास है कि भगवान परशुराम ने देवी मंदिर में शिवलिंग की स्थापना की थी. ऐसी मान्यता है पहले वनवास के बाद पांडव मां कुंती के साथ देवी मंदिर में रहे थे.

जानें डासना देवी मंदिर का इतिहास

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महंत ने बताया कि रावण के पिता को भी देवी मंदिर से जोड़ा जाता है. मंदिर के तालाब में नहाने से सभी प्रकार के चर्म रोग दूर हो जाते हैं. ऐसा कहा जाता है कि जब रावण के पिता ने विशाल तपस्या की थी तो उनकी कमर में गहरे घाव हो गए थे. ऐसी मान्यता है कि रावण के पिता के घाव देवी मंदिर के तालाब में नहाने से ठीक हुए थे.

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महंत नरसिंहानंद सरस्वती ने बताया मंदिर में महाकाली की अधिकतर प्रतिमाएं कसौटी पत्थर से बनी हुई है. जब दिल्ली को एक विशेष समुदाय ने पहली बार जीता था तब मंदिर पर बड़ा हमला कर तोड़ दिया गया था. उस दौरान मंदिर के पुजारियों ने मां काली की प्रतिमा को तालाब में छुपा दिया था. कई सौ सालों तक मां काली तलाब में विश्राम करती रही. जब विशेष समुदाय का शासन समाप्त हो गया तब मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया. स्वामी जगत गिरी महाराज ने देवी मंदिर को दोबारा से बनवाया था. महंत बताते हैं कि तकरीबन पांच दशक पहले मुस्लिम समाज की भी डासना देवी मंदिर में काफी श्रद्धा थी.

Last Updated : Aug 12, 2021, 10:37 PM IST

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