नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजीपुर बॉर्डर (Ghazipur border) पर अब फिर से महिला किसानों (Farmer women) की संख्या बढ़ने लगी है. पिछले लंबे समय से यहां पर पुरुष किसानों द्वारा खाना बनाया जा रहा था. मगर फिर से महिलाएं वापस आ गई है, और चूल्हा जलाना शुरू कर दिया है. आज गाजीपुर बॉर्डर (Ghazipur border) पर पहुंची महिलाओं ने मक्के की रोटी और सरसों का साग बनाया है. महिलाओं का कहना है कि घर के साथ-साथ आंदोलन की जिम्मेदारी भी निभा रही हैं. महिलाओं ने चेतावनी दी है कि साल दो साल आंदोलन (farmers protest) और भी चलाना पड़ा तो कोई दिक्कत नहीं है. हम घर जाने वाले नहीं हैं.
बुलंदशहर से आई महिला किसान रजनी ठाकुर का कहना है, कि जब घर का कामकाज था, तो घर पर चले गए थे, लेकिन अब सर्दी आते ही वापस आ गए हैं. इससे पहले पुरुष यहां पर खाना बना रहे थे. अब हम वापस आ गए हैं और खाना अब महिलाएं बनाएंगी. उन्होंने कहा कि मेरे पति यहां पर पिछले काफी समय से थे, अब वह घर जाकर घर की जिम्मेदारी देखेंगे, और उनकी जगह मैं यहां पर मोर्चा संभाल लूंगी. सरकार हमारी बात मान ले, हम सरकार की बात मान लेंगे.
महिला किसान नरगिस ने कहा कि अगर सरकार अपनी जिद पर अड़ी है, तो किसान भी अपनी जिद पर अड़ा हुआ है. हमें परेशानी बहुत है. घर भी चलाना पड़ता है, लेकिन आंदोलन भी देख रहे हैं. एक साल से किसान रोड पर पड़ा हुआ है. मगर सरकार बात नहीं मान रही है. अब सर्दी आने से परेशानी और ज्यादा बढ़ेगी. हम आतंकवादी या उग्रवादी नहीं हैं. हम सिर्फ किसान हैं.