नई दिल्ली/पलवल: लघु सचिवालय पर शुक्रवार को सर्व कर्मचारी संघ के नेताओं और कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और जिला उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा. सर्व कर्मचारी संघ ने ये प्रदर्शन सरकार द्वारा विभिन्न विभागों में ठेके पर रखे हुए कर्मचारियों और पीटीआई शिक्षकों को निकालने के विरोध में किया.
विभिन्न विभागों में निकाले गए कर्मचारियों के समर्थन में प्रदर्शन कर्मचारियों ने कहा कि निकाले गए कर्मचारियों को जल्द बहाल किया जाए. उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने उनकी बात को नहीं माना तो 3 जुलाई को प्रदेश स्तर पर बहुत बड़ा आंदोलन किया जाएगा, जिसका खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ेगा.
सर्व कर्मचारी संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष सुभाष लांबा ने बताया कि सरकार ने कर्मचारियों के साथ जो वादे किए थे उनको पूरा नहीं कर रही है. क्योंकि सरकार अब खुद ही ठेके पर विभागों में रखे गए कर्मचारियों को बाहर निकाल रही है और उनकी रोजी-रोटी को समाप्त कर रही है. इतना ही नहीं सरकार ने 1983 पीटीआई टीचरों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है.
इसमें पीटीआई कर्मचारियों का क्या दोष है जो इसका खामियाजा पीटीआई कर्मचारियों को भुगतना पड़ा है. उन्होंने बताया कि सर्व कर्मचारी संघ ने हरियाणा के 22 जिलों में आज प्रदर्शन किया है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने उनकी मांगों को नहीं माना तो 3 जुलाई को प्रदेश स्तर पर बहुत बड़ा आंदोलन किया जाएगा.
क्या है पीटीआई शिक्षकों का मामला ?
बता दें कि साल 2010 में कांग्रेस की भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार थी. उस समय हरियाणा में 1983 पीटीआई शिक्षकों की भर्ती की गई थी. भर्ती में अनियमतिता का आरोप लगाते हुए इसके खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि सैकड़ों चयनित उम्मीदवारों का शैक्षिक रिकॉर्ड बेहद खराब है. आरोप में ये भी कहा गया था कि 90 फीसदी मेधावी उम्मीदवार मौखिक परीक्षा में असफल रहे. उन्हें 30 में से 10 नंबर भी नहीं आए. इसी के साथ यह भी आरोप लगा था कि इंटरव्यू के लिए तय किए गए 25 अंक को बदलकर 30 कर दिया गया. इन सबके मद्देनजर 30 सितंबर 2013 को पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने पीटीआई भर्ती को रद्द कर दिया था.
इसके खिलाफ पीटीआई शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आठ अप्रैल को अपना फैसला सुनाया. फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि साल 2010 में पीटीआई भर्ती में नियमों का उल्लंघन किया गया था.