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हेलमेट पहनने से 69 प्रतिशत कम होता है मौत का खतरा, जानें कितना सुरक्षित है आपका 'कवच'?

हेलमेट की असली अहमियत दुर्घटना के समय ही पता चलती है. हेलमेट से बेहतर कोई दूसरा सुरक्षा कवच नहीं है. एक शोध के अनुसार हेलमेट सिर की गंभीर चोटों में लगभग 69 प्रतिशत और लगभग 42 प्रतिशत मौतों को कम करता है. इस रिपोर्ट में जानें की कैसे हेलमेट आपकी जान बचाता है और किस तरह के हेलमेट का इस्तेमाल करना चाहिए.

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फरीदाबाद

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Published : Jul 28, 2020, 10:50 PM IST

नई दिल्ली/फरीदाबादःभारत में हर साल सड़क दुर्घटना में तीन फीसदी का इजाफा हो रहा है. इसकी चपेट में आने वाले 78 फीसद लोग 20-44 आयु वर्ग के हैं. दो पहिया वाहन चलाने वाले सैकड़ों युवा हर साल सिर की गंभीर चोटों से जान से हाथ धो बैठते हैं. इन्हें सिर की गंभीर चोटों से केवल हेलमेट ही बचा सकता है. उसके बावजूद ज्यादातर लोग हेलमेट पहनने को शान के खिलाफ समझते हैं. हेलमेट पहनना सुरक्षा की दृष्टि से सही होता है, तो वहीं क्वालिटी हेलमेट पहनने के और भी फायदे हैं.

हेलमेट पहनने से 69 प्रतिशत कम होता है मौत का खतरा

हेलमेट का खोल इंजेक्शन मोल्डेड थर्मोप्लास्टिक या प्रेशर मोल्डेड थेरमोस्टेट होता है. इसे ग्लास फाइबर से मजबूती दी जाती है या फाइबरग्लास से बना होता है. निचले बल पर पत्थर सा सड़क की रगड़ या अन्य सख्त वस्तुएं सिर की हड्डी को तोड़ सकती हैं. हेलमेट का खोल ऐसी टक्कर में बल को बांट देता है, जिससे इन वस्तुओं का हेलमेट में घुसने का खतरा खत्म हो जाता है.

कैसे चुनें अच्छा हेलमेट

सस्ते हेलमेट घटिया प्लास्टिक के बने होते हैं, जो जरा से दबाव से ही टूट जाते हैं. ऐसे में अगर दुर्घटना हो जाए, तो ये आपके सिर की सुरक्षा नहीं कर पाते. ऐसे में हमेशा ISI मार्क वाला हेलमेट ही खरीदना और पहनना चाहिए. भारत में ब्‍यूरो ऑफ स्‍टैंडर्ड बीआईएस द्वारा प्रमाणित हेलमेट का प्रयोग किया जाता है. इसके अलावा डीओटी और ईसीई प्रमाणित हेलमेट का प्रयोग भी आप कर सकते हैं.

इन हेलमेट का कर सकते हैं इस्तेमाल

भारतीय बाजार में स्‍टड, एलएस2, बेल, जैसे ब्रांड के हेलमेट उपलब्ध हैं. हेलमेट हमेशा ISI मार्क वाला ही होना चाहिए, सब-स्टैण्डर्ड हेलमेट खरीदने और पहनने से बचना चाहिए क्योंकि इनको पहनने से आपके सिर की सेफ्टी नहीं होती.

हेलमेट पहनने के फायदे :

  • हेलमेट पहनने से दुर्घटना के समय आपका सिर ही नहीं रीढ़ की हड्डी की भी सुरक्षा होती है. सर्वाइकल स्पाइन इंजरी होने का खतरा कम हो जाता है. दिमाग को गंभीर चोट से बचाया जा सकता है.
  • दोपहिया चलाते समय अगर आपने हेलमेट पहना हुआ है, तो ये आपकी आंखों के लिए भी ठीक है. ये तेज हवा, धूल-मिट्टी, कीटाणु- प्रदूषण से आंखों की रक्षा करता है. इससे आंखों में होने वाले संक्रमण को काफी हद तक कम किया जा सकता है.
  • हेलमेट पहनना कानों की सेहत का भी ख्याल रखता है. इससे हमारे कानों में पड़ने वाला तेज शोर धीमा होकर पहुंचता है, जिससे कानों की मांसपेशियों पर बुरा असर नहीं पड़ता.
  • हेलमेट पहनना ध्यान केद्रिंत करने का भी काम करता है. चेहरे पर लगा हेलमेट सीधे वाहन चलाने पर ध्यान लगाने में सहायक होता है. अगर हमने हेलमेट पहना हुआ है, तो हम अपने आसपास की चीजों पर ध्यान नहीं देंगे.
  • गर्मी के मौसम में वाहन चलाते समय यदि हेलमेट पहना हुआ है, तो सूर्य की हानिकारक यूवी किरणों से त्वचा की रक्षा होती है. इससे चेहरे पर दाग-धब्बे, झुर्रियां आदि का खतरा काफी कम हो जाता है.

सावधानियां जरूरी

हेलमेट पहनते समय कुछ सावधानियां जरूरी है. अगर इसका आकार सिर से बड़ा है, तो इसे बदल दें. हेलमेट अगर ढीला होगा, तो दुर्घटना के समय ये सिर से निकल सकता है और सिर में चोट आ सकती है. हेलमेट पहनने के बाद इसकी पट्टी जरूर लगा लें. हेलमेट पहनते समय सिर पर कपड़ा जरूर बांधे, इससे बैलेंस बना रहता है. हेलमेट को समय-समय पर धोते जरूर रहें. इसमें लगे हानिकारक बैक्टीरिया, सिर, आंख, त्वचा में संक्रमण कर सकते हैं. दूसरे का हेलमेट न इस्तेमाल करें.

हर साल 5 लाख सड़क हादसे

WHO के आंकड़े बताते हैं कि भारत में होने वाली मौतों में सड़क दुर्घटना एक बड़ा कारण है. देश में हर साल 5 लाख लोग सड़क हादसे के शिकार हो रहे हैं, जिसमें से एक लाख 10 हजार की मौत हो जाती है. इनमें हेलमेट न पहनने वाले युवाओं की संख्या सबसे अधिक है. युवा ट्रैफिक पुलिस से बचने के लिए हेलमेट पहनते हैं जबकि उन्हें ये सोचने की जरूरत है पुलिस से तो वो बच भी सकते हैं. लेकिन अगले मोड़ पर खड़ी मौत से उन्हें सिर्फ हेलमेट ही बचा सकता है. इसलिए ध्यान दीजिए कि हेलमेट अच्छी क्वालिटी का हो और गाड़ी चलाते वक्त जरूर पहना हो.

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