नई दिल्ली/पलवल: हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ और शारीरिक शिक्षक संघर्ष समिति के बैनर तले आक्रोशित अध्यापकों ने अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया. अध्यापर लघु सचिवालय से जोरदार प्रदर्शन करते हुए मीनार गेट पहुंचे. जहां उन्होंने शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर का पुतला फूंका और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इसके बाद अध्यापकों ने मुख्यमंत्री के नाम एसडीएम को ज्ञापन भी सौंपा.
PTI टीचर्स के समर्थन में हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ का प्रदर्शन 'अध्यापक कोरोना काल में भी दोहरी-तिहरी मार झेल रहे हैं'
हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के प्रधान वेदपाल ने कहा कि शिक्षा मंत्री और अधिकारी शिक्षा जगत के मुद्दों, अध्यापकों की मांगों को अनसुना कर रहे हैं. संगठन के बार-बार अनुरोध पर भी उनकी मागों का समाधान नहीं किया जा रहा है, जबकि प्रदेश के अध्यापक कोरोना काल में भी दोहरी-तिहरी मार झेल रहे हैं. वेदपाल ने कहा कोरोना काल के बीच हरियाणा सरकार ने कठोर फैसला लेते हुए 1983 पीटीआई शिक्षकों को आनन- फानन में कार्यमुक्त कर दिया. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक महामारी को खत्म होने के बाद 5 महीने का इंतजार तक नहीं किया.
उन्होंने कहा कि सरकार विधानसभा में अध्यादेश लाकर पीटीआई शिक्षकों को सेवा सुरक्षा प्रदान करे और अध्यापकों की मांगों पर विचार करे. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर सरकार ऐसा नहीं करेगी तो हरियाणा का हर एक शिक्षक सड़क पर उतर आएगा.
क्या है पूरा मामला?
हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन ने अप्रैल 2010 में 1983 पीटीआई को प्रदेशभर में भर्ती किया था. इस दौरान नियुक्तियों में असफल रहे अभ्यर्थियों में संजीव कुमार, जिले राम और एक अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर नियुक्ति में गड़बड़ी का आरोप लगा चुनौती दी थी. याचिका लगाने वालों में से दो की मौत हो चुकी है जबकि एक कर्मचारी 30 अप्रैल को ही रिटायर हुआ है.
याचिका में उन्होंने कहा था कि ऐसे उम्मीदवारों को भी नियुक्ति दी थी, जिनके शैक्षणिक दस्तावेज फर्जी है. हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने याचिका पर सुनवाई कर पीटीआई की भर्ती को रद्द कर दिया था. उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी फैसला बरकरार रखा. बाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर हरियाणा सरकार ने 1983 पीटीआई टीचर्स को बर्खास्त कर दिया.