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Published : Mar 14, 2022, 8:41 PM IST

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निजामुद्दीन मरकज खोलने के लिए स्थानीय पुलिस को आवेदन दे दिल्ली वक्फ बोर्ड: हाईकोर्ट

मार्च 2020 में निजामुद्दीन मरकज स्थित मस्जिद में धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ था, जिसमें विदेशी नागरिक आए थे. उसके बाद पुलिस ने इस मस्जिद को सील कर दिया था.

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नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली वक्फ बोर्ड से कहा है कि वो निजामुद्दीन मरकज को पूरे तरीके से खोलने के लिए स्थानीय थाने के एसएचओ को आवेदन दें. जस्टिस मनोज कुमार ओहरी की बेंच ने ये आदेश दिया.

दरअसल, आज सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि अगर दिल्ली वक्फ बोर्ड शबे बारात और रमजान में मस्जिद परिसर को खोलने क लिए याचिका दायर करती है तो वो इस पर निष्पक्ष रुप से विचार करेगी. कोर्ट ने दिल्ली वक्फ बोर्ड की उस मांग को भी मंजूर कर लिया कि अगर दिल्ली पुलिस परिसर को खोलने की उसकी मांग को खारिज कर देती है तो हाईकोर्ट इस पर 16 मार्च को सुनवाई करे.

11 मार्च को कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि वो ये स्पष्ट रुप से बताए कि वो निजामुद्दीन मरकज स्थित मस्जिद बंगले वाली के किस हिस्से को नमाज के लिए खोला जा सकता है. दरअसल केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट को बताया था कि शबे बारात और रमजान के मौके पर निजामुद्दीन मरकज के मस्जिद में कुछ लोगों को नमाज पढ़ने की अनुमति दी जा सकती है. इस पर हाईकोर्ट ने कहा था कि किसी त्योहार के मौके पर ही क्यों हमेशा के लिए क्यों नहीं खोला जा सकता है.

कोर्ट ने कहा था कि अगर दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकार ने कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है तो इसे सालों भर के लिए क्यों नहीं खोला जा सकता है. तब नायर ने कहा था कि अगर मस्जिद की पहली मंजिल खोली जाती है तो कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन अगर पूरा परिसर खोलने की मांग की जाएगी तो उस पर केंद्र को आपत्ति है. तब कोर्ट ने पूछा था कि जब मस्जिद के चार मंजिल हैं तो केवल पहली मंजिल को ही खोलने की अनुमति क्यों. आप इस पर केंद्र सरकार से स्पष्ट निर्देश लेकर आइए.

4 मार्च को केंद्र सरकार ने निजामुद्दीन मरकज स्थित मस्जिद को दोबारा खोलने की मांग का विरोध करते हुए कहा था कि ये परिसर केस से जुड़ा हुआ है. केंद्र सरकार ने कहा था कि शबे बारात और रमजान के मौके पर कुछ लोगों को नमाज अता करने की अनुमति दी जा सकती है. सुनवाई के दौरान रजत नायर ने कहा कि ये याचिका सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि मरकज में रहनेवाले वैध लोगों ने याचिका दायर नहीं की है. उन्होंने कहा था कि इसके पहले भी पांच लोगों को एक साथ नमाज पढ़ने की इजाजत दी गई थी. इस साल भी त्योहारों के मौके पर ऐसी ही अनुमति दी जा सकती है. उन्होंने कहा था कि अगर याचिकाकर्ता पूरे परिसर को खोलने की मांग करना चाहते हैं तो वो परिसर केस से जुड़ी हुई संपत्ति है जिसे अभी खोलने की इजाजत नहीं दी जा सकती है.

23 फरवरी को सुनवाई के दौरान दिल्ली वक्फ बोर्ड की ओर से वकील संजय घोष ने कहा था कि शबे बारात का त्यौहार नजदीक आ रहा है और यह मार्च के मध्य में है. रमजान का महीना भी 2 अप्रैल से शुरू हो रहा है, जो चांद देखे जाने पर निर्भर होगा. उन्होंने इस दौरान निजामुद्दीन मरकज स्थित मस्जिद को खोलने की मांग की. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि मरकज को खोलना दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकार के दिशानिर्देशों पर निर्भर करेगा.

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केंद्र की ओर से वकील रजत नायर ने कहा था कि इसके लिए पुलिस और वक्फ बोर्ड ने संयुक्त रूप से मस्जिद परिसर का निरीक्षण किया है. निरीक्षण में धार्मिक स्थल और अन्य जरुरतों वाली जगहों की पहचान की गई है. उसके बाद कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया.

बता दें कि मार्च 2020 में निजामुद्दीन मरकज स्थित मस्जिद में धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ था, जिसमें विदेशी नागरिक आए थे. उसके बाद पुलिस ने इस मस्जिद को सील कर दिया था.

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