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Published : Sep 18, 2020, 9:01 AM IST

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गुंजन सक्सेना- द कारगिल गर्ल: फिल्म पर रोक संबंधित याचिका पर HC में सुनवाई आज

नेटफ्लिक्स पर दिखाई जा रही फ़िल्म गुंजन सक्सेना-द कारगिल गर्ल पर रोक लगाने के लिए दायर केंद्र सरकार की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट आज सुनवाई करेगी.

hearing on the petition filed to ban Gunjan Saxena the Kargil girl film
गुंजन सक्सेना- द कारगिल गर्ल फिल्म पर रोक लगाने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई आज

नई दिल्ली:दिल्ली हाईकोर्ट आज नेटफ्लिक्स पर दिखाई जा रही फ़िल्म गुंजन सक्सेना-द कारगिल गर्ल पर रोक लगाने के लिए दायर केंद्र सरकार की याचिका पर सुनवाई करेगी. पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस फिल्म पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. जस्टिस राजीव शकधर की बेंच ने वायुसेना को पक्षकार बनाने की जगह गुंजन सक्सेना को पक्षकार बनाने का निर्देश दिया था.

फिल्म पर रोक लगाने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई
केंद्र और वायुसेना ने दायर की है याचिका

पिछले 2 सितंबर को कोर्ट ने कहा था कि इस फिल्म के रिलीज हुए पहले ही काफी समय बीत चुके हैं. याचिका केंद्र सरकार और वायु सेना ने दायर किया है. केंद्र सरकार की ओर से एएसजी संजय जैन ने कहा था कि ये फिल्म वायु सेना की साख को गिराने वाली है. फिल्म में सेना में लिंग आधारित भेदभाव का गलत चित्रण हुआ है, तब कोर्ट ने कहा था कि आपको काफी पहले आना चाहिए था. हम ये आदेश नहीं दे सकते हैं. कोर्ट ने धर्मा प्रोडक्शन, नेटफ्लिक्स और पूर्व फ्लाईट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना को नोटिस जारी किया.

पहले भी याचिका खारिज कर चुकी है कोर्ट

बता दें कि इसके पहले भी दिल्ली हाईकोर्ट ने फिल्म गुंजन सक्सेना-द कारगिल गर्ल के कुछ संवाद हटाने या उसमें बदलाव की मांग करनेवाली याचिका खारिज कर दिया था. पिछले 28 अगस्त को चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग के जरिये सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता से कहा कि वो अपनी मांग सूचना और प्रसारण मंत्रालय के पास रखें.


'वायुसेना को स्त्री जाति से घृणा करनेवाला बताया गया है'

याचिका में कहा गया था कि इस फिल्म में वायुसेना की पूर्व फ्लाईट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना के काम के बारे में गलत बातें कही गई हैं. इस फिल्म में वायुसेना के पुरुष अधिकारियों को स्त्री जाति से घृणा करनेवाले के रुप में दर्शाया गया है. याचिका में कहा गया था कि फिल्म में वायुसेना के बारे में कहा गया है कि वो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन करता है. याचिका में कहा गया था कि इस फिल्म में भारतीय वायुसेना के बारे में कई मनगढ़ंत बातें कही गई हैं. फिल्मकार ने सिनेमा लाइसेंस की आड़ में वायुसेना के बारे में गलत तथ्यों को पेश किया है.

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