मुंबई : भारत की बड़ी चीनी उत्पादक कंपनियों में से एक बजाज हिंदुस्तान शुगर को बैंकों ने 'फंसा हुआ कर्ज' (NPA) घोषित कर दिया है, क्योंकि कंपनी बैंकों का कर्ज नहीं चुका पाई है. बता दें कि इस साल मार्च तक कंपनी पर 4,814 करोड़ रुपये का कर्ज था. वहीं दो बड़े बैंकों के अधिकारियों ने कहा कि मार्च के अंत से कुछ कर्जों का भुगतान किया बाकी था. कंपनी पर उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों की रकम का बकाया भी है. कंपनी की कुल 14 मिलें हैं और सभी उत्तर प्रदेश में हैं.
बैंक अधिकारियों ने कहा कि बजाज हिंदुस्तान का कर्ज फंस रहा है और इसने ऋणदाताओं को भुगतान में देर की है. इसी वजह से उसे जून के आखिर में एनपीए घोषित कर दिया गया. बता दें कि भारतीय रिज़र्व बैंक की गाइडलाइन के अनुसार जब किसी लोन की किस्त लगातार तीन महीने तक न जमा हों तो वह खाता एनपीए खाता बन जाता है. इस संबंध में एक अधिकारी ने बताया कि 'कंपनी ने ऋणदाताओं के सामने पुनर्गठन योजना का प्रस्ताव रखा है, जिस पर इस समय विचार-विमर्श किया जा रहा है. प्रवर्तकों को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नियमों के अनुरूप पुनर्गठन योजना के तहत एक निश्चित धनराशि का निवेश करना होगा और कंपनी में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी सुनिश्चित करनी होगी.'
बंबई स्टॉक एक्सचेंज के आंकड़ों के मुताबिक कंपनी में प्रवर्तकों की 25 फीसदी हिस्सेदारी है. कंपनी के सलाहकार ने कहा कि पुनर्गठन आरबीआई के 7 जून 2019 के परिपत्र के मुताबिक किया जा रहा है और इस समय बैंकों के साथ बातचीत चल रही है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बजाज हिंदुस्तान के प्रवक्ता ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. कंपनी का शेयर लगातार गिर रहा है. इसकी वजह से उसका बाजार मूल्यांकन 1,684 करोड़ रुपये के आसपास बताया जा रहा है.