नई दिल्ली : भारतीय रोजगार बाजार में अगले पांच सालों में रोजगार में बदलाव की दर 22 फीसदी रहने का अनुमान है. अर्थव्यवस्था के कमजोर होने और कंपनियों द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) जैसी तकनीकों को अपनाने को बढ़ावा देने के कारण अगले पांच वर्षों में वैश्विक नौकरी बाजार को झटका लग सकता है. एक नई रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने 800 से अधिक कंपनियों के सर्वेक्षणों के आधार पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की है.
2027 तक 83 मिलियन पद होंगे खत्म : World Economic Forum (जो हर साल दावोस, स्विट्जरलैंड में वैश्विक नेताओं की एक सभा की मेजबानी करता है) ने पाया कि नियोक्ताओं को 2027 तक 69 मिलियन (6.90 करोड़) नए रोजगार सृजित करने और 83 मिलियन पदों को समाप्त करने की उम्मीद है. WEF की रिपोर्ट के अनुसार इसके परिणामस्वरूप 14 मिलियन नौकरियों का शुद्ध नुकसान होगा, जो वर्तमान रोजगार के 2 फीसदी के बराबर है.
रिन्यूएबल एनर्जी से रोजगार पैदा होने की उम्मीद : उस अवधि के दौरान कई कारक श्रम बाजार में उथल-पुथल मचाएंगे. अक्षय ऊर्जा प्रणालियों में बदलाव रोजगार पैदा करने के लिए एक शक्तिशाली इंजन होगा, जबकि धीमी आर्थिक वृद्धि और उच्च मुद्रास्फीति से नुकसान होगा. इस बीच, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को तैनात करने की हड़बड़ी सकारात्मक और नकारात्मक दोनों शक्तियों के रूप में काम करेगी.