मुंबई: सकल मुद्रास्फीति नवंबर में बढ़कर 5 प्रतिशत पर रहने के आसार के बावजूद आर्थिक वृद्धि की चिंताओं को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) लगातार दो बार नीतिगत दरों में कटौती कर सकता है. बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच ने अपनी रिपोर्ट में यह बात कही.
खुदरा मुद्रास्फीति अक्टूबर महीने में बढ़कर 4.62 प्रतिशत पर पहुंच गई है. बुधवार को जारी सरकारी आंकड़ों में यह बात कही गई है. आरबीआई मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य लेकर चल रहा है.
चालू वित्त वर्ष की जून तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर गिरकर छह साल के निचले स्तर 5 प्रतिशत पर आ गई है. कुछ विश्लेषकों का मानना है कि वित्त वर्ष 2019-20 के लिए आर्थिक वृद्धि दर पांच प्रतिशत से नीचे जा सकती है.
विदेशी ब्रोकरेज फर्म बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच के विश्लेषकों ने कहा कि आरबीआई दिसंबर में होनी वाली मौद्रिक नीति समिति की बैठक में नीतिगत दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती करेगा और इसके बाद फरवरी बैठक में 0.15 प्रतिशत की और कटौती कर सकता है.
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रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी है कि आर्थिक वृद्धि को रफ्तार देने के लिए दरों में कटौती करने से "वित्तीय अस्थिरता" का खतरा बढ़ सकता है.
इसमें कहा गया है कि "मुद्रास्फीति के बुनियादी कारक कमजोर बने हुए हैं", इसके चलते गैर-खाद्य और गैर-ईंधन मुख्य मुद्रास्फीति अक्टूबर में 3.3 प्रतिशत पर सीमित रही. सितंबर में यह 3.7 प्रतिशत थी.