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बैंक के त्रुटिपूर्ण तथ्यों से 2.69 लाख किसानों को नहीं मिली पीएम किसान योजना की पहली किस्त

कृषि राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने बताया कि आठ राज्यों (असम, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, झारखंड, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड) के 2,69,605 किसानों के बैंक खातों की जानकारियां त्रुटिपूर्ण होने के कारण इन्हें पहली किस्त नहीं मिल पायी.

बैंक के त्रुटिपूर्ण तथ्यों से 2.69 लाख किसानों को नहीं मिली पीएम किसान योजना की पहली किस्त

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Published : Jul 19, 2019, 5:31 PM IST

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम किसान) योजना के तहत मिलने वाली राशि की पहली किस्त मिलने से 2.69 लाख किसान वंचित रह गये जिसकी वजह इन किसानों के बैंक खातों की राज्य सरकारों द्वारा केन्द्र सरकार को त्रुटिपूर्ण तथ्य मुहैया कराया जाना था.

कृषि राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने शुक्रवार को राज्यसभा में प्रश्नकाल में बताया कि राज्य सरकारों से इन त्रुटियों को दुरुस्त कर सही विवरण मंत्रालय को देने को कहा है. उन्होंने बताया कि आठ राज्यों (असम, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, झारखंड, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड) के 2,69,605 किसानों के बैंक खातों की जानकारियां त्रुटिपूर्ण होने के कारण इन्हें पहली किस्त नहीं मिल पायी.

रूपाला ने एक अन्य पूरक प्रश्न के कहा कि तीन राज्यों, झारखंड, नगालैंड और मणिपुर में किसानों के भूस्वामित्व संबंधी ब्योरा नहीं मिल पाया है. उन्होंने बताया कि मणिपुर और नगालैंड में अधिकतर कृषि भूमि का मालिकाना हक किसानों के बजाय समुदायों के पास है.

उन्होंने कहा कि मणिपुर सरकार ने राज्य में गांव के मुखिया द्वारा किसानों को सामुदायिक भूमि पर खेती करने के लिये अधिकृत करने की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि इसके समाधान के लिये मंत्रालय ने एक उच्च स्तरीय समिति बनायी है. समिति का प्रस्ताव है कि इन दोनों राज्यों में गांव के मुखिया द्वारा जिन किसानों को खेती करने के लिये अधिकृत करने की राज्य सरकार द्वारा सत्यापित जानकारी केन्द्र सरकार को दी जायेगी उन्हें पीएम किसान योजना के लाभार्थी के रूप में दर्ज कर लिया जायेगा.

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झारखंड के बारे में रूपाला ने बताया कि राज्य में 1932 से भूअभिलेख अद्यतन ही नहीं होने के कारण यह समस्या सामने आयी थी. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार के सहयोग से ऐसे किसानों की वंशावली तैयार की जा रही है जिनके 1932 के बाद भू अभिलेख में नाम दर्ज नहीं हुये. उन्होंने कहा कि मंत्रालय ने राज्य सरकार से अनुमोदित वंशावली को मान्यता देने का फैसला किया है.

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