नई दिल्ली : वैश्विक महामारी कोरोना वायरस ने इस पूरे साल लोगों को घरों में कैद रहने को मजबूर कर दिया, जिसके चलते लोगों ने अपना ज्यादातर समय अपने फोन और इंटरनेट के साथ बिताया. इस मौके का साइबर अफराधियों ने भी पूरा लाभ उठाया. जिसके परिणामस्वरूप रैंसमवेयर हमले, डेटा उल्लंघन और यहां तक कि बहुत परिष्कृत राष्ट्र-राज्य प्रायोजित हमले भी हुए.
साल की सबसे बड़ी घटना संभवत: साल से अंत में उस समय सामने आई जब साइबर सिक्योरिटी कंपनी फायरआई ने इस महीने की शुरुआत में खुलासा किया कि उन पर हैकिंग का हमला हुआ है, जिन्होंने उन उपकरणों का इस्तेमाल किया, जिसका इस्तेमाल कंपनी अपने ग्राहकों की सुरक्षा के लिए करती है.
हालांकि हमले का पैमाना और आकार अभी भी निर्धारित किया जा रहा है, लेकिन अब यह सामने आया है कि यह केवल एक संगठन को प्रभावित करने वाला कोई साधारण साइबर हमले नहीं है.
द वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के अनुसार, संदिग्ध रूसी हैकरों ने आईटी प्रबंधन कंपनी सोलर विंड्स द्वारा बेचे गए ओरियन सॉफ्टवेयर में एक मैलवेयर स्थापित किया, जिसके जरिए ये अमेरिका के कुछ सरकारी एजेंसियों की संवेदनशील डेटा तक पहुंच बना रहे हैं, जिनमें एक अस्पताल और विश्वविद्यालय शामिल है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि इंटेल, सिस्को, वीएमवेयर और एनवीडिया जैसी टेक दिग्गजों सहित कम से कम 24 बड़ी कंपनियों ने ऐसे सॉफ्टवेयर स्थापित किया है, जो दुर्भावनापूर्ण कोड से लैस है.
फायरआई के सीईओ केविन मैंडिया ने एक बयान में कहा, "यह हमला उन हजारों घटनाओं से अलग है, जिनका हमने पूरे वर्षों में जवाब दिया है."
माइक्रोसॉफ्ट के अध्यक्ष ब्रैड स्मिथ ने कहा कि यह नवीनतम साइबर हमला प्रभावी रूप से अमेरिका और उसकी सरकार और सुरक्षा फर्मों सहित अन्य महत्वपूर्ण संस्थानों पर हमला है.
इस साल की शुरुआत में, मैरियट इंटरनेशनल ने भी कुछ चौंकानेवाली खबरें भेजीं, जब होटल श्रृंखला ने घोषणा की कि उनके दो कर्मचारियों के लॉगिन क्रेडेंशियल्स का उपयोग करके 5.2 मिलियन मेहमानों के निजी जानकारी को एक्सेस किया जा रहा है.