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निवेशकों ने वित्तमंत्री से की एफपीआई पर सरचार्ज हटाने की मांग

वित्त मंत्रालय ने कराधान में किए गए बदलाव को लेकर निवेशकों की चिंता जानने के लिए शुक्रवार को एफपीआई और घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) की एक बैठक बुलाई थी जिसमें एफपीआई के प्रतिनिधियों ने नार्थ ब्लॉक में वित्तमंत्री और सचिवों से मुलाकात की.

निवेशकों ने वित्तमंत्री से की एफपीआई पर सरचार्ज हटाने की मांग

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Published : Aug 10, 2019, 5:37 PM IST

नई दिल्ली: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने वित्तमंत्री से उन पर लगने वाले सरचार्ज वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि भारत में निवेश करने में वे तभी सक्षम हो पाएंगे जब कर स्थिरता होगी.

वित्त मंत्रालय ने कराधान में किए गए बदलाव को लेकर निवेशकों की चिंता जानने के लिए शुक्रवार को एफपीआई और घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) की एक बैठक बुलाई थी जिसमें एफपीआई के प्रतिनिधियों ने नार्थ ब्लॉक में वित्तमंत्री और सचिवों से मुलाकात की.

पिछले महीने पांच जुलाई को संसद में पेश आम बजट 2019-20 में सरकार ने दौलतमंद आयकरदाताओं पर सरचार्ज बढ़ाने की घोषणा की थी जिसके बाद विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से 22,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की निकासी की.

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बैठक में सभी प्रमुख विदेशी संस्थागत निवेशकों ने हिस्सा लिया. हालांकि बैठक में वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने उनके द्वारा दिए गए सुझावों पर कोई बयान नहीं दिया लेकिन उनके द्वारा उठाए गए मसलों को सुना.

बैठक में एफपीआई ने वित्त मंत्री से कर स्थिरता की मांग करते हुए कहा कि वे भारत में तभी निवेश करने में सक्षम होंगे जब उन पर लगने वाला सरचार्ज वापस लिया जाएगा.

एएमआरआई (एसोसिएशन ऑफ एसेंट मैनेजमेंट राउंडटेबल ऑफ इंडिया) की प्रेसिडेंट नंदिता पारकर ने कहा, "हमने कराधान और व्यावसायिक सुगमता (इज ऑफ डूइंग बिजनेस) पर बातचीत की. हमने उनको बताया कि भारत सिर्फ इक्विटी एफपीआई प्रवाह में 25-35 अरब डॉलर निवेश को आकर्षित कर सकता है. इसके लिए स्थिर कर व्यवस्था काफी जरूरी है जिससे कर बाधक न बने. यही बड़ा मसला था जिस पर विचार-विमर्श किया गया."

उन्होंने कहा कि भारत में स्टॉक में नई स्फूर्ति लाने के लिए सरल उपाय करने की आवश्यकता है.

उनसे जब पूछा गया कि क्या उनको उम्मीद है कि सरकार एफपीआई पर प्रस्तावित कर वापस लेगी तो उन्होंने कहा, "मैं सिर्फ उम्मीद ही कर रही हूं."

उन्होंने आईएएनएस से कहा कि अगर एफपीआई कर जारी रहेगा तो इससे भारत में एफपीआई के निवेश को बड़ा नुकसान होगा.

पारकर ने कहा, "हमने लंबी अवधि के कैपिटल गेन (पूंजीगत लाभ) की वापसी का मसला भी मंत्रालय के पास लाया क्योंकि अधिकांश देशों में यह नहीं है."

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