बिजनेस डेस्क, ईटीवी भारत: अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने बुधवार को कहा कि भारत ने अग्रणी विश्व अर्थव्यवस्थाओं के बीच जून 2020 को समाप्त तिमाही के दौरान सकल घरेलू उत्पाद में सबसे खराब गिरावट देखा है.
गोपीनाथ द्वारा ट्विटर पर साझा किए गए एक ग्राफ के अनुसार पिछली तिमाही (क्यू 1) की तुलना में भारत की जीडीपी में अप्रैल-जून अवधि (कैलेंडर वर्ष 2020 के क्यू 2) के दौरान -25.6% की वृद्धि दर्ज की गई - जो जी -20 देशों में सबसे कम है.
ये भी पढ़ें-सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में अगस्त में सुधार: रिपोर्ट
यूके की अर्थव्यवस्था दूसरी सबसे नंबर पर थी. जिसके जीडीपी में क्यू 2 में -20.4% की वृद्धि हुई थी. अमेरिकी अर्थव्यवस्था ने -9.1% की वृद्धि दर्ज की, जबकि यूरोपीय संघ (ईयू) उसी अवधि के दौरान -11.7% बढ़ी.
इसके विपरीत, चीन एकमात्र ऐसी अर्थव्यवस्था थी जो क्यू 1 की तुलना में क्यू 2 में 12.3% की तेजी देखी गई.
ग्राफ में जी-20 देशों के ग्रोथ नंबरों की तुलना तिमाही-दर-तिमाही गैर-वार्षिक रूप से किया गया है. गोपीनाथ ने अपने ट्वीट में कहा,"चीन क्यू1 में पतन के बाद क्यू2 में जोरदार रिकवरी हासिल की है."
गोपीनाथ ने आशंकाओं को फिर से व्यक्त किया जब उसने कहा कि देशों को पूर्ण वर्ष 2020 के लिए प्रमुख आर्थिक संकुचन का गवाह बनने के लिए तैयार होना चाहिए.
इस हफ्ते की शुरुआत में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी भारत के आधिकारिक आंकड़ों से पता चला कि जीडीपी में एक साल पहले की तुलना में जून तिमाही में -23.9% वृद्धि हुई है.
संकुचन की उम्मीद इस तथ्य से की गई थी कि कोविड -19 महामारी के कारण इस तिमाही के दौरान अर्थव्यवस्था का अधिकांश समय तक पूर्ण लॉकडाउन रहा था. इसने जून से ही "अनलॉक करना" शुरू कर दिया, यद्यपि चरणबद्ध तरीके से, जिसके तहत कई राज्य पूर्ण लॉकडाउन में बने रहे.
जीडीपी के आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए, पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अभी भी कुछ आर्थिक दर्द बाकी है.
उन्होंने कहा, "हम अभी भी जंगल से बाहर नहीं हैं. उन्होंने कहा कि जुलाई और अगस्त 2020 के आर्थिक प्रदर्शन के संकेतक हमें क्यू2 (जुलाई-सितंबर तिमाही) में लगभग 12-15% का संकुचन हो सकता है."