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लॉकडाउन ने तोड़ी ऑटो इंडस्ट्री की कमर, रोजाना 2,300 करोड़ का नुकसान

कोरोना वायरस के देश में हुए लॉकडाउन का असर ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री पर भी पड़ रहा है. एक्सपर्ट का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान ऑटो सेक्टर रोजाना करीब 2300 करोड़ का नुकसान हो रहा है.

लॉकडाउन ने तोड़ी ऑटो इंडस्ट्री की कमर, रोजाना 2300 करोड़ का नुकसान
लॉकडाउन ने तोड़ी ऑटो इंडस्ट्री की कमर, रोजाना 2300 करोड़ का नुकसान

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Published : Apr 19, 2020, 6:05 PM IST

गुरुग्रामः देश में लगे लॉकडाउन की मार हर किसी पर पड़ रही है. हर तरह का कारोबार बंद है. लिहाजा ऑटोमोबाइल सेक्टर भी इससे बच नहीं पाया है.

ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री तो 2019 से ही मंदी की मार से जूझ रही है. ऐसे में कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन से इस सेक्टर की परेशानियां और बढ़ गई है. लॉकडाउन से ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को हो रहे नुकसान और उद्योग पर पड़ी मार को लेकर ईटीवी भारत ने ऑटोमोबाइल एक्सपर्ट जेएन मंगला से बातचीत की.

लॉकडाउन ने तोड़ी ऑटो इंडस्ट्री की कमर, रोजाना 2300 करोड़ का नुकसान

लॉकडाउन से बदहाल हुआ ऑटो सेक्टर

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए जेएन मंगला ने बताया कि ऑटो सेक्टर पहले से ही मंदी की दौर से गुजर रहा था और अब हालात में सुधार होने की संभावना जताई जा रही थी. लेकिन अब कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन ने उद्योग की हालत और भी खराब कर दी है.

करीब 10 लाख लोगों को रोजगार देने वाले ऑटोमोबाइल सेक्टर को इस वक्त रोजाना करीब 2300 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. ऑटो इंडस्ट्री को मंदी से निकालने के लिए जेएन मंगला ने सरकार से आर्थिक पैकेज की गुजारिश की.

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लॉकडाउन के बाद ऑटो सेक्टर की स्थिति में सुधार की उम्मीदों पर बात करते हुए जेएन मंगला ने कहा कि इसके लिए सरकार और बैंकों को कार या गाड़ियां खरीदने वालों को कम रेट ऑफ इंट्रेस्ट पर लोन देना होगा.

बीएस-4 गाड़ियों पर आदेश के चलते भी भारी नुकसान

वहीं बीएस 4 गाड़ियों के मामले को लेकर उन्होंने कहा कि इससे भी ऑटो सेक्टर को भारी नुकसान हुआ है और सुप्रीम कोर्ट ने लॉकडाउन खत्म होने के बाद बीएस 4 गाड़ियों की बिक्री के लिए 10 दिनों का जो वक्त हो वो नाकाफी है.

कोरोना वायरस के मरीजों को लिए सरकार ने ऑटोमोबाइल इंटस्ट्री को वेंटिलेटर बनाने का आदेश दिया है. इस पर बात करते हुए जेएन मंगला ने कहा कि ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में इंजीनियर्स का अहम स्थान है. इंजीनियर हमेशा नई-नई चीजें करते रहते हैं और नए-नए तरीके की गाड़ियां भी बनाते रहते हैं. इसी को देखते हुए सरकार ने ऑटो सेक्टर को ही वेंटिलेटर बनाने की जिम्मेदारी सौंपी होगी.

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