उन्होंने कहा, "हमने पहले ही काजू सोडा और जैम बनाने शुरू कर दिए हैं। दोनों काजू एप्पल से बने हैं. फेनी एक उत्पाद है, जिसने गोवा में अपनी पहचान बनाई है और इसलिए हमने भी ऐसा करने का फैसला किया है."
अध्यक्ष ने कहा, "सरकार को सौंपी जाने वाली परियोजना रिपोर्ट तैयार की जा रही है और किसी भी समय काजू से फेनी बनाने काम शुरू किया जाएगा. जैसे ही राज्य सरकार द्वारा इसे मंजूरी मिलती है, यह शराब उत्पादन के विभिन्न पहलुओं को अंतिम रूप देने के लिए आबकारी विभाग के पास भेजा जाएगा."
जयमोहन ने कहा, "काजू का गूदा छह महीने तक ठीक रहता है और जब फेनी का उत्पादन शुरू होगा तो यह प्रमुख घटक होगा."
उन्होंने कहा, "काजू एप्पल से जैम और सोडा के उत्पादन में हमारी पहल ने हमें पुरस्कार दिलाया है, क्योंकि अबतक जो काजू एप्पल बेकार हो रहे थे, वे 'कैश प्रोडक्ट' में बदल गए हैं और अब उपलब्ध काजू के पेड़ों की नई किस्मों के साथ अधिक से अधिक लोग पौधे लगाने शुरू कर सकते हैं."
काजू उत्पादों के क्षेत्र और उत्पादन के मामले में महाराष्ट्र क्रमश: 18 प्रतिशत और 33 प्रतिशत के साथ पहले स्थान पर है, जबकि राष्ट्रीय परिदृश्य पर केरल की हिस्सेदारी क्रमश: 3.8 प्रतिशत और 10.79 प्रतिशत है.
केरल में काजू का उत्पादन, जो कि 2008-09 में 42,000 मीट्रिक टन था, अब बढ़कर 25,600 मीट्रिक टन हो गया है.
जयमोहन ने कहा कि वर्तमान में निगम के पास राज्य में 30 काजू कारखाने हैं और 12,000 कर्मचारी हैं. कोल्लम स्थित कारखाने में काजू सोडा और जैम का उत्पादन होता है.
(आईएएनएस)
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